राजकोट : रक्षाबंधन पर्व को चरितार्थ करती बहन, किडनी डोनेट कर भाई को दिया नया जीवन

राजकोट : रक्षाबंधन पर्व को चरितार्थ करती बहन, किडनी डोनेट कर भाई को दिया नया जीवन

 रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते का पावन पर्व है। जिसमें भाई बहन की रक्षा का संकल्प लेता है। लेकिन राजकोट में एक मामले में उल्टा देखने को मिला है। जिसमें भाई ने नहीं बल्कि बहन ने भाई की रक्षा करने का प्रण लिया और उसे पूरा भी कर रही है। बात राजकोट के बीटी सवानी अस्पताल की, जिसमें  भाई की दोनों किडनी फेल हो गई, परिवार मुश्किल में पड़ गया। लेकिन युवा उम्र के बावजूद बहन ने आगे आकर भाई को एक किडनी दान कर दी। बहन की किडनी से भाई को मिली नई जिंदगी और आज भाई-बहन अपनी जिंदगी का लुत्फ उठा रहे हैं। इन भाई-बहन ने रक्षाबंधन के पर्व को सही मायने में चरितार्थ किया है।
सप्ताह में दो से तीन बार डायलिसिस
बीटी सवानी किडनी अस्पताल के किडनी विशेषज्ञ डॉ. विवेक जोशी ने कहा, रक्षाबंधन हमारे देश और संस्कृति में भाई-बहन के रिश्ते के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। आमतौर पर एक भाई अपनी बहन की रक्षा का संकल्प लेता है। लेकिन हमारे अस्पताल में भरतभाई नाम का एक मरीज था जिसकी दोनों किडनी फेल हो गई थी। उन्हें सप्ताह में दो से तीन बार नियमित रूप से डायलिसिस करवाना पड़ता था। 
मेरा दुख मेरी बहन ने नहीं देखी गई
बहन की किडनी से नया जीवन पाने वाले भरतभाई मकवाना ने कहा, मैं किडनी की बीमारी से पीड़ित था। 10 महीने से डायलिसिस चल रहा था। तब मेरी बहन से मेरा दर्द नहीं देखा गया और उसने मुझे अपनी किडनी दे दी। मेरे चचेरे भाई ने भी इस संबंध में समर्थन किया। मैं अब ठीक हूं। रक्षाबंधन पर भाई बहन की रक्षा करता है, लेकिन मेरी बहन ने मेरी रक्षा की है। मैं बहन का शुक्रिया कहूं यह कम है, मुझे फिर से खड़ा किया है। बहन दयाबेन वागड़िया ने कहा कि मेरे भाई की दोनों किडनी फेल हो गई थी। जिससे मुझे उसका दर्द नहीं देखा गया, इसलिए मैंने अपने भाई को किडनी देने का फैसला किया। बाद में मेरे ससुराल वालों ने मेरा साथ दिया इसलिए मैंने अपने भाई को एक किडनी दान कर दी। अब मैं और मेरा भाई ठीक हैं।
बहन की उम्र भी युवावस्था है
डॉ. विवेक जोशी ने आगे कहा कि इस मामले में उनकी बहन भी युवान है, लेकिन अपने परिवार की सहमति से उन्होंने अपने भाई को बचाने और पुनर्जीवित करने के लिए अपनी किडनी दान कर दी। उनके भाई को दान की गई बहन की किडनी भी ठीक से काम कर रही है। इसलिए भाई को नया जीवन मिला है। अब भरतभाई को डायलिसिस की भी जरूरत नहीं है। एक बहन ने अपने भाई को किडनी दान कर समाज के लिए एक मिसाल कायम की है।
गुर्दे की विफलता के कारण क्या हैं?
डॉ. विवेक जोशी ने आगे कहा कि किडनी खराब होने के कई कारण होते हैं। अक्सर कोई कारण होता है। कुछ बीमारियों के कारण किडनी फेल हो जाती है। जब किडनी से विषाक्त पदार्थ साफ नहीं होते हैं और परिणामस्वरूप उन्हें मशीन से साफ करना पड़ता है, इसे डायलिसिस कहा जाता है। डायलिसिस की प्रक्रिया बहुत जटिल है और रोगी के लिए अक्सर कष्टकारक होती है। ऐसे में अगर उन्हें उपयुक्त डोनर मिल जाए तो उन्हें एक नया जीवन मिलता है।  सरकार ने इसके लिए नियम बनाए हैं कि कौन किसको किडनी दे सकता है। यदि रोगी के व्यक्तिगत रिश्तेदारों जैसे माता-पिता, भाई, बहन की किडनी का मिलान किया जाए, तो किडनी बेहतर काम करती है। इसे लाइन डोनेट कहा जाता है। सरकार के पास किसी राज्य की प्राधिकरण समिति होती है, इसके लिए नियम सोटा कहलाता है। गुर्दा प्रत्यारोपण केवल नियमों का अध्ययन करने और ऐसे प्रत्यारोपण की अनुमति देने के बाद ही किया जा सकता है।
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