शिक्षक दिवस विशेष : राजकोट की इस टीचर को मिलने जा रहा है नेशनल टीचर पुरस्कार, सरकारी स्कूल की कर दी कायापलट

शिक्षक दिवस विशेष : राजकोट की इस टीचर को मिलने जा रहा है नेशनल टीचर पुरस्कार, सरकारी स्कूल की कर दी कायापलट

आसपास की दो निजी स्कूलों को ताले लगवाए, स्कूल को D में से A ग्रेड दिलाया, शिक्षक दिवस पर राष्ट्रपति कोविंद के हाथों दिया जाएगा पुरस्कार

शिक्षा मंत्रालय द्वारा नेशनल टीचर्स पुरस्कार का लिस्ट जारी कर दिया गया है। 5 सितंबर को शिक्षक दिन पर दिये जाने वाले पुरस्कार के लिए देश भर में से 44 शिक्षकों को पसंद किया गया है। जिसमें गुजरात के दो शिक्षक का भी समावेश हुआ है। जिसमें से एक शिक्षक है राजकोट की नगर प्राथमिक स्कूल की प्रिंसिपल वनिताबेन राठोड। स्थानीय वर्तमान पत्र दिव्यभास्कर से बातचीत करते हुये वनिताबेन राठोड ने कहा की उनका सपना तो एक डॉक्टर बनने का था पर वह एक शिक्षक बने थे । इसके चलते उन्होंने अन्यों को डॉक्टर बनाने का सपना देखा। 
शिक्षक दिवस के निमित्त पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के हाथों से उन्हें अवार्ड दिया जाने वाला है। जब राजकोट के शिक्षक को पुरस्कार देने के लिए चुना गया तो सभी में खुशी का माहौल फैल गया। वनिताबेन राठौड़ का जन्म 10 अक्टूबर 1979 को जूनागढ़ जिले में माणावदर में हुआ था। हालांकि कक्षा 10 के बाद वह किसी कारणों से वह डॉक्टर नहीं बन पाई थी। कक्षा 10 के बाद उन्होंने कॉमर्स और उसके बाद बीबीए, एम कॉम और उसके बाद बी एड की पढ़ाई की थी। जब वह कक्षा 12 में थे तब उन्होंने एक लेख भी लिखा था, जिसका शीर्षक था कि देश को अच्छी शिक्षा कि नहीं पर अच्छी शिक्षक कि जरूरत है। 
वनिता बेन ने पोस्ट मास्टर और मार्केटिंग मैनेजर कि जॉब को ठुकराकर साल 2004 में वांकानेर कि प्राथमिक स्कूल में शिक्षक के तौर पर नौकरी कि शुरुआत की थी। जहां उन्होंने काफी संघर्ष कर बच्चों को अच्छी शिक्षा की और मोड़ने का प्रयास किया था। साल 2015 में राजकोट नगर प्राथमिक शिक्षण समिति की स्कूल नंबर 93 में उनका चयन प्रिंसिपल के तौर पर हुई थी। 
जब वनिताबेन का चयन प्रिंसिपल के तौर पर हुई तो स्कूल में भौतिक सुविधाओं की काफी कमी थी। छात्रों की काफी गैरहाजरी रहती थी। इतना ही नहीं लड़कों और लड़की लिए अलग-अलग शौचालय भी नहीं थे। इन सभी असुविधाओं के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। आज वनिताबेन की स्कूल में 21 शिक्षक और 850 छात्र है, जबकि जब वह प्रिंसिपल के तौर पर आई थी छात्रों की संख्या मात्र 300 थी। वनिताबेन के मार्गदर्शन में सभी छात्र कई अच्छी चीजें सीख रहे है। छात्रों को वृक्षारोपण का महत्व समजाया जा रहा है। जहां अधिकतर लोग निजी स्कूल में एडमिशन लेने की चाह में है तो वहीं वनिताबेन के मार्गदर्शन में स्कूल के नजदीक की दो निजी स्कूल बंद हो गई है।
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