राजकोटः कोरोना ने रोकी बच्चों की स्कूली शिक्षा तो आचार्य ने शुरु किया अभिनव अभियान, जानें

सरकारी स्कूल एचटीएटी के प्रिंसिपल संजय वेकारिया ने बच्चों के घरों में किताबें पहुंचाई और उन्हें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया

 वैश्विक कोरोना महामारी के कारण डेढ़ साल से अधिक समय से शिक्षण संस्थान बंद हैं और बच्चे व छात्र ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। इस समय कक्षा 1 से 8 तक के बच्चे स्कूल में पढ़ने के बजाय ऑनलाइन शिक्षा के साथ-साथ मोबाइल का अधिक उपयोग कर रहे हैं। ऐसे बालक पढ़ने की आदत भूल न जाये इसके लिए जेतपुर तालुका के मोटी गुंडाला गांव के सरकारी स्कूल के एचटीएटी प्रिंसिपल संजय वेकारिया ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक अभिनव अभियान शुरू किया है । 
अभियान की जानकारी देते हुए एचटीएटी के प्राचार्य संजयभाई ने कहा, ''कोरोना के इस कठिन समय में स्कूल बंद हैं, जिससे छात्र पुस्तकालय नहीं आ सकते हैं।'' स्कूल बंद होने के बावजूद शिक्षा बंद नहीं है। वर्तमान समय में ऑनलाइन शिक्षा के साथ-साथ मोबाइल के अत्यधिक उपयोग के कारण बच्चों को पढ़ने की आदत को नहीं भूलना चाहिए। साथ ही स्कूल सह पाठयक्रम गतिविधियों के माध्यम से छात्रों को कोरोना की इस कठिन परिस्थिति में उचित मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए परामर्श देना चाहिए। मैं घर-घर गया और छात्रों को किताबें देने लगा।
इसके लिए स्कूल की लाइब्रेरी में करीब 3000 किताबें बच्चों के बीच रखी गईं। घर-घर जाकर बच्चों को उनकी पसंद की किताबें दे रहे हैं। इतना ही नहीं, बच्चे को किताब पढ़ने के बाद उसमें क्या अच्छा लगा? किताब पढ़कर आपने क्या सीखा? उन्होंने मोबाइल में ऐसी चीजों का वीडियो बनाकर भेजने की भी बात कही।
स्कूल के प्राचार्य द्वारा शुरू किए गए पठन अभियान को बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावकों का भी अच्छा प्रतिसाद मिला। छात्रों ने अपनी पढ़ी हुई किताब का एक संक्षिप्त वीडियो बनाया और उसे प्रिंसिपल द्वारा शुरू किए गए स्कूल के व्हाट्सएप ग्रुप पर भेज दिया।
कक्षा-9 में पढ़ने वाली छात्रा मनस्वी अग्रवाल का कहना है कि जब हमारा स्कूल कोरोना के कारण बंद था तो हमारे स्कूल के प्रिंसिपल हमें पढ़ने के लिए किताबें देते हैं ताकि हमारा अध्यापन कार्य न रुके। मुझे गणित अधिक पसंद है इसलिए आचार्य  ने मुझे पढ़ने के लिए गणितीय पहेलियों पर "क्विज़ टाइम - 3" नामक पुस्तक दी। इस पुस्तक को पढ़ने के बाद मुझे गणित के कठिन उदाहरण समझ में आने लगे हैं।
उसी स्कूल के छात्र जेनिल बम्ब्रोलिया कहते हैं कि ''आचार्य साहब ने मुझे ' राष्ट्र के तेजवंत घड़वैया' किताब दी थी। पुस्तक में रानी लक्ष्मीबाई, सरदार पटेल, चंद्रशेखर आजाद और वीर भगत सिंह जैसी देश की महान हस्तियों की आत्मकथाएँ हैं। इसे पढ़कर मुझे इन महापुरुषों के जीवन के बारे में बेहतर जानकारी मिली है।
"गांधीजी की कहानियां" किताब पढ़ने वाले एक अन्य छात्र चेतवी काकड़िया का कहना है कि इस किताब में उस समय की कई कहानियां हैं, जब महात्मा गांधी स्कूल में पढ़ रहे थे। जिसे पढ़ने से मालूम हुआ कि गांधीजी पहले अंधेरे से डरते थे। उनके जीवन में बनी एक घटना के कारण उनके अंधेरे का डर दूर हो गया। इस पुस्तक को पढ़कर मुझे महात्मा गांधी के जीवन के बारे में बहुत कुछ पता चला है।
उल्लेखनीय है कि स्कूल के प्रधानाचार्य ने अब तक 250 से अधिक बच्चों के साथ-साथ लगभग 20 अभिभावकों को पुस्तकें वितरित कर उन्हें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया है। 
बच्चों के मूड पर कोरोना का गंभीर असर पड़ता है। लंबे समय से लॉकडाउन में रह रहे बच्चे घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं और स्कूल बंद कर दिया गया है। ऐसे बच्चों ने अकेलेपन के साथ अपने मूड में बदलाव देखा है। कोरोना के सबसे कठिन समय का सबसे ज्यादा नकारात्मक असर छात्रों पर पड़ा है। खास बात यह है कि चूंकि बच्चा घर के अंदर फंसा हुआ है, पढ़ाई हो या खेलने की, यह आजकल मोबाइल पर ही संभव हो गया है। गांव के छात्रों के साथ-साथ उनके माता-पिता को भी किताब पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
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