म्युकरमायकोसिस संकट : यहां गांवों में शुरु किया गया ‘नाक सफाई’ अभियान

म्युकरमायकोसिस संकट : यहां गांवों में शुरु किया गया ‘नाक सफाई’ अभियान

गांवो में जाकर स्वास्थ्य कर्मी बांट रहे जंतुनाशनक सली, वेंटिलेटर पर रहे मरीजों की हालत ज्यादा गंभीर

राजकोट शहर और जिले में कोरोना के बाद अब म्यूकरमाइकोसिस बीमारी ने लोगों की नींद हराम कर दी है। राजकोट जिला के स्वास्थ्य विभाग ने अब नाक हाइजीन करने के लिए अभियान शुरू किया है। राजकोट के जिला एपिडेमिक ऑफिसर डॉक्टर राठौड़ ने बताया कि हमने गांव में 700 कर्मचारियों की ड्यूटी कान साफ करने के लिए लगा दी है।
 गांवो में जिन लोगों को कोरोना हो चुका है उन्हें प्लास्टिक की एक छोटी सी सलाई दी जाती है जिसमें की कपास लगा होता है जंतुनाशक दवा लगी होती है। इससे लोग अपना नाक साफ कर सकते हैं। कोरोना के दौरान लोग नाक नहीं साफ कर पाते हैं, उनके नाक में फंफूद लग जाती है और वह बड़ी तेजी से बढ़ता है। एक बार रोग हो जाने के पश्चात इसका इलाज बहुत ही मंहगा है। इसलिए सिर्फ नाक साफ करके इस रोग को रोका जा सकता है। जो लोग कोरोना से संक्रमित है या पहले हो चुके हैं ऐसे लोगों की नाक को 7 दिन तक  सलाई से बीटाडीन लोशन लगाकर साफ किया जाएगा।
म्यूकरमाइकोसिस नाम की बीमारी उन्हीं लोगों को होती है जिन्हें कि 10 से 15 दिन तक ऑक्सीजन या वेंटिलेटर पर रखा गया हो और नाक तथा मुंह साफ नहीं किया गया है।वेन्टिलेटर पर रहे मरीजों के नाक में फंफूद आ जाती है जिसे की बीटाडीन जैसे सामान्य लोशन से साफ कर दिया जाए तो प्राथमिक चरण में ही यह समाप्त हो सकती है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रत्येक गांव में जाकर कोरोना मरीजो जांच की जा रही है। जिन लोगों को 1 अप्रैल के बाद कोरोना हुआ था। उन्हें सलाई देने के साथ समझाया भी जा रहा है। यदि किसी के पास भी बीटाडीन लोशन नहीं हो तो वह नमक के पानी में थोड़ा ज्यादा नमक डालकर पानी उबालकर सली को उस में भिगोकर नाक साफ कर सकते हैं। फिलहाल म्युकरमाइकोसिस का प्राथमिक चरण में यही ईलाज है।