कोरोना से ठीक हुये दंपत्ति ने की सिविल अस्पताल की तारीफ, लास्ट नहीं फ़र्स्ट ऑप्शन होना चाहिए सिविल

कोरोना से ठीक हुये दंपत्ति ने की सिविल अस्पताल की तारीफ, लास्ट नहीं फ़र्स्ट ऑप्शन होना चाहिए सिविल

ऑक्सीज़न स्तर का होने पर बिना मन के हुये थे सिविल अस्पताल में भर्ती, ठीक होने के बाद सभी स्टाफ और डॉक्टर का माना शुक्रिया

हम यह सोचते थे की सिविल अस्पताल में सिर्फ जरूरतमंद लोग ही इलाज करवाते है और वह हमेशा लास्ट ऑप्शन होना चाहिए। यह उद्गार है राजकोट में पिछले 22 साल से रह रहे और मूल सिरसा, राजस्थान के बियानी दंपत्ति के जो सिविल में लास्ट ऑप्शन के चलते आए थे। हालांकि इलाज करवाने के बाद उनके मन में से यह भ्रम टूट गया और वापिस आते समय उन्होंने सभी से सिविल को सबसे पहला ऑप्शन देखने के लिए अनुरोध किया था। 
78 साल के पवनभाई बियानी जो की अजी कॉलोनी में मशीन टूल्स इंडस्ट्री से जुड़े हैं। पिछली 15 तारीख को वह कोरोना पॉजिटिव पाये गए। अगले दिन उनकी पत्नी अंजनाबेन का भी कोरोना रिपोर्ट पॉज़िटिव आया। ऑक्सीजन स्तर कम था और उसे निजी अस्पताल में बिस्तर मिलने की संभावना नहीं थी इसलिए वह मन मार के सिविल अस्पताल में भर्ती हुये। यहां से उन्हें इलाज के लिए समरस कोविड स्वास्थ्य केंद्र रेफर कर दिया गया। उनके गहन उपचार के अलावा, डॉक्टरों की एक टीम द्वारा विभिन्न गतिविधियों को अंजाम दिया गया। इलाज से संतुष्ट पवनभाई कहते हैं, "मैंने अपने जीवन में इतना अच्छा इलाज कभी नहीं देखा। पूरे स्टाफ ने हमारी अच्छी देखभाल की। हम लोगों ने सरकारी तंत्र द्वारा व्यवस्थित कार्य और सकारात्मक दृष्टिकोण के कारण इतनी अच्छी तरह से रिकवरी की है। 

उनकी पत्नी अंजनाबेन छुट्टी लेते समय बहुत भावुक हो गईं और सभी को धन्यवाद दिया और कहा, "मेरे पास एक शब्द भी नहीं है, जिस प्रेम से सभी डॉक्टरों ने उनका इलाज किया उसी की वजह से आज वह मौत के मुंह से बाहर है। यहां के स्टाफ, फिजियोथेरेपिस्ट, डॉक्टरों ने परिवार की तरह हमारा इलाज किया और हमें नया जीवन दिया। अंजनाबेन कहती है कि हमारी सरकार अच्छा काम कर रही है, उन्हें दोष न दें। हमें खुद को बदलने की जरूरत है, ऐसे समय में किसी को दोष देने की नहीं, बल्कि सरकार जो कर रही है उसकी सराहना करनी चाहिए। पवनभाई बियानी की बहू स्वातिबेन बियानी ने अपने परिवार को दी गई उपचार सुविधा के अनुभव को बताते हुए कहा कि यहां हमें जो उपचार और संचार प्रतिक्रिया मिली, वह अकल्पनीय थी।
स्वातिबेन ने कहा, यहां मरीज को एक मिनट भी ऑक्सीजन या इंजेक्शन कि कमी नहीं हुई है। भले ही हम रात 11 बजे डॉक्टर को व्यक्तिगत फोन करके अपने स्वजन के बारे में पूछे पर हमें सही जवाब मिला है। निजी अस्पताल में मरीज के परिवार को इंजेक्शन और ऑक्सीजन के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, जबकि हमें यहां किसी भी तरह की व्यवस्था करने के लिए नहीं कहा जाता है और वो भी बिना एक रुपया लिए। सभी अधिकारियों और डॉक्टरों के लिए धन्यवाद, राजस्थानी परिवार गुजरात में प्राप्त उत्कृष्ट उपचार के लिए आभारी है, यह कहते हुए कि नागरिक पहला विकल्प होना चाहिए, अंतिम नहीं।