कोरोना को लेकर एम्स ने दी नई जानकारी, तेजी से बढ़ रहे है मामले पर हालात नियंत्रण में, बताया किन लोगों को नहीं है अस्पताल जाने की जरुरत

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार इस बार 5 से 10 प्रतिशत लोगों को ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत, दूसरी लहर में करीब 20-30 फीसदी लोगों को थी अस्पताल की जरुरत

एक बार फिर देश में कोरोना संक्रमण अपने चरम पर आ रहा है। हर बीते दिन के साथ संक्रमित मामलों में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। कोरोना की तीसरी लहर में कुछ ही दिनों से रोजाना संक्रमितों का ग्राफ डेढ़ लाख को पार कर रहा है। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार को तेजी से बढ़ रहे ओमिक्रॉन और कोविड संक्रमण के मरीजों में इलाज को लेकर चिंता सता रही है। हालांकि मेडिकल विभाग द्वारा कोरोना की तीसरी लहर को लेकर बड़ी जानकारी दी गई है। इस मामले में डॉक्टर्स का कहना है कि भले ही संक्रमित मामले तेजी से बढ़ रहे है पर यह बहुत माइल्ड है, इससे डरने की जरूरत नहीं है। इसका मतलब ये नहीं कि आप सावधानी ही ना रहे। 
आपको बता दें कि कोरोना के बढ़ते मामलों पर एम्स चिकित्सा विभाग के प्रो डॉ नीरज निश्चल का कहना है कि अब तक इस संक्रमण का कोई निश्चित और विशेष इलाज सामने नहीं आया है और न ही कोई भी दवा चमत्कारिक रूप से कोरोना पर असरकारक है। ऐसे में सावधानी रखना ही एकमात्र बचाव है। रोगियों की कड़ी निगरानी रखी जाये, वैक्सीन के दोनों डोज लगवाएं जाए और ऐसे बुजुर्ग जिन्हें अभी वैक्सीन नहीं लगी है, उनका खास ख्याल रखने की जरूरत है। वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इस बार कोविड के एक्टिव केसों में 5 से 10 प्रतिशत लोगों को ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी है। जबकि कोरोना की दूसरी लहर में करीब 20-30 फीसदी लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत महसूस की गई थी।
वहीं हल्के लक्षण वाले मरीजों के बारे में डॉ निश्चल ने बताया कि ऐसे मरीजों का घर पर ही इलाज किया जा सकता है। इसके लिए किसी डॉक्टर को दिखाने, बहुत सारी दवाइयां खाने की कतई जरूरत नहीं है। इसे घर रहकर मामूली इलाज से भी ठीक किया जा सकता है। सबसे पहले तो हमें समझना होगा कि दवा के बिना भी आप सही हो सकते है। इसके लिए लोग अपने इम्युनिटी सिस्टम को बढ़ाने पर ध्यान दें।
आपको बता दें कि हाल ही में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने मोलनुपिरवीर को कोविड की दवा के रूप में मंजूरी दे दी है। हालांकि इसके साथ ही भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने चेतावनी जारी की है कि मोलनुपिरवीर मनुष्यों की तेजी से विभाजित कोशिकाओं को प्रभावित कर सकता है। इससे पुरुष में प्रजनन अंगों की कोशिकाएं, गर्भवती महिलाओं में भ्रूण, युवा वयस्कों और बच्चों की हड्डी डैमेज हो सकती है। इस कारण से डॉ निश्चल इस दवा के उपयोग को प्रतिबंधित करने के पक्ष में दिखाई दे रहे है। उनका कहना है कि इस दवा के लाभ से ज्यादा नुकसान हैं।