आधा साल स्टॉक पड़े रहने के पश्चात अब मास्क में मांग खुली

आधा साल स्टॉक पड़े रहने के पश्चात अब मास्क में मांग खुली

देश भर में अनेक मशीने ओने पौने भावों में बेचनी पड़ी

कोरोना की द्वितीय लहर इतनी खतरनाक चली है की लोगों की जान ही खतरे में पड़ गई। पहली लहर से इस बार वाली दूसरी लहर का प्रकोप ज्यादा नजर आ रहा है, इन हालातों में मास्क बहुत ही जरूरी हो गया है। दूसरी लहर चलने से महीनों से उत्पादकों के गोडाउनो में पड़ा मास्क का स्टॉक अब सुलटने लगा।
सूरत शहर में गत वर्ष गली गली व घर घर में मास्क का उत्पादन होने लगा था, उस दौर में चीन से आयातित एडवांस टेक्नोलॉजी से लेकर स्थानीय स्तर की जुगाड़ू मशीनों पर एन-95 मास्क का उत्पादन लिया जाने लगा था। जिसमें लक्ष्मीपति ग्रुप, सूचि ग्रुप, ग्लोरियस टेक्नॉटेक्स नॉनवुवन, इंडिगो एग्जिम आदि अगिनित बड़े स्तर की व सैकड़ों की तादाद में स्माल स्तर की थी। गत वर्ष मई अंत तक लॉक डाउन रहा और चाइना से मंगाई मशीने भी लगभग मई अंत तक ही मिल पाई, कुछ उत्पादकों ने स्कूल बैग आदि बनाने वाली मशीनों पर अतिरिक्त अटेचमेंट लगा कर जुगाड़ बिठाया और मास्क का उत्पादन लेने लगे,  देखते ही देखते शहर में सैकड़ों मशीनों स्थापित हो गई और लाखों मास्क सूरत में बनने लगे,  लेकिन समय समय पर सरकारी फरमान व डॉक्टरों व एक्सपर्ट पैनलों द्वारा नए नए रिचर्स आते रहे और ये रिचर्स मास्क उत्पादकों के लिए घातक बनते गए।
प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credit : Pixabay.com / IANS)
गत वर्ष जब एन-95 की मांग भरपूर थी तो डॉक्टरों व विशेषज्ञों ने एन-95 मास्क के बारे में यह कह डाला कि ये मास्क कोरोना संक्रमण रोकने हेतु प्रभावी नही है, तो देखते ही देखते ग्राहकों ने एन-95 की तमाम किस्मों के मास्क खरीदना बंद कर दिया और देश भर में उत्पादकों वितरकों तथा मेडिकल स्टोरों में मास्क खरीदने वाला नही बचा। ज्ञात रहे कि गत वर्ष जुलाई माह में एन-95 मास्क को लेकर केंद्र सरकार ने सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को चिट्ठी लिखकर चेतावनी दी थी कि लोग सांस लेने वाले छिद्रयुक्त एन-95 मास्क का इस्तेमाल ना करें। ये मास्क वायरस को फैलने से बचाने के लिए नहीं है और इस्तेमाल करने वालों के लिए हानिकारक हो सकते हैं। सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी का पालन करने की सलाह दी गई थी।
सरकार की इस चिट्ठी के आते ही तमाम तरह के एन-95 मास्क ग्राहकों की नजरों में शक के घेरे में आ गए और वो स्टॉक इस वर्ष मार्च माह तक पड़ा धूल खाता रहा और जहां भी बिका तो ओने पौने दामों में बिका। सूरत में सर्जिकल डिस्पोजेबल व एन-95 मास्क के उत्पादक रुद्राक्ष समूह के श्री महेश भाई के अनुसार एन-95 मास्क 3 रु तक बेचने पड़े उन्होंने स्वंय ने 2.40 रु में ये मास्क खरीदे थे। बताया जाता है कि सूरत में एक उत्पादक के पास गत ऑक्टोबर माह से 15 लाख एन-95 मास्क का स्टॉक एकत्रित हो गया था। बताया जाता है कि एन-95 मास्क की लागत 7-8 रु की है और उत्पादकों को नीचे में 2.40 रु में बेचना पड़ा। मयंक भाई ने बताया कि कोरोना की सेकेंड वेव खतरनाक साबित हो रही है इस कारण लोग घबराए हुए हैं अतः अब एन-95 मास्क की मांग निकली है। नया उत्पादन लेने हेतु मेंल्ट बांड रो मटेरियल्स की कमी बनी हुई है।
सूरत में मेल्ट बांड की तीन मशीने लगी हुई है, सम्पूर्ण गुजरात में ये मशीने 10 के करीब थी, वहीं दमण में एक मशीन नई लगी है। ग्लोरियस टेक्नॉटेक्स नॉनवुवन के श्री नंदू भाई जालान के अनुसार गुजरात में 10 मशीनों में से 5 बन्द पड़ी है जिसमें राजकोट व वापी आदि भी हैं। श्री नन्दू जालान ने बताया कि चाइना मेड ये मेल्ट बांड मशीन डेढ़ से पौने दो करोड़ रु की मशीन होती हैं। मेल्ट बांड का रो मटेरियल्स 190 रु किलो में बिकता है और उससे तैयार मेल्ट बांड 300 रु किलो में बेचा जाता हैं, एक मशीन पर प्रतिदिन 400 से 600 किलो का उत्पादन आता हैं। एक किलों में लगभग 25-30 मीटर मेल्ट बांड मटेरियल्स होता है,  मेल्ट बांड को हैड्रोक कोविक किया जाता है , ये एक ऐसी कोटिंग होती है जिसके इस्तेमाल के बाद उस से पानी पार नही हो पाता है यानी बैक्ट्रिया न पनपे इसके लिए 30 लाख की अतिरिक्त मशीन जोड़नी पड़ती है। श्री नंदू जालान के अनुसार मेल्ट बांड के एक्सपोर्ट पर सरकार की रोक है लेकिन उसके खुलने की संभावना नजर आने लगी है।
रुचि इंडस्ट्रीज के श्री अशोक मेहता के अनुसार उनके द्वारा एन-मास्क गुणवत्ता परक है व स्वास्थ्य से जुड़े तथा सरकारी निर्देशो के अनुसार वे शत प्रतिशत खरे उतरते है। उनके पास किसी भी समय मास्क का स्टॉक नही रहा। रुचि के मास्क एक डीलर के माध्यम से असम सरकार को 70 लाख बेचे गए। उनके एन-95 मास्क आज भी 15 रु तथा सर्जिकल मास्क 2 रु में बिकते है। सूरत महानगरपालिका व गुजरात सरकार आदि भी रुचि के मास्क खरीदते हैं। लक्ष्मीपति समूह जो पी पी ई किट व मास्क दोनों बनाते थे लेकिन बीच में सरकार की मांग कमजोर हो जाने से उत्पादन बन्द कर दिया था। लक्ष्मीपति ग्रुप के श्री संजय सरावगी ने बताया कि न तो घरेलू स्तर पर ओर ना ही एक्सपोर्ट स्तर पर मांग थी। अतः सूरत सहित देश भर में मास्क व पी पी ई किट का काफी उत्पादन बन्द हो गया था।
कपड़े के मास्क हानिकारक होते हुए भी ब्रांडेड के नाम पर धड़ले से बिक रहे है। डॉक्टरों व विशेषज्ञों के अनुसार जिस मास्क से पानी पार् होता हो वो मास्क किसी भी दृष्टि से उपयोगी नही है उससे कोरोना के संक्रमण का खतरा बना ही रहेगा। ये उल्लेखनीय है कि पाली, बालोतरा, जैतपुर, सांगानेर, अहमदाबाद, सूरत, मुम्बई, जैतपुर आदि कपड़ा प्रोसेसिंग केंद्र व उत्पादक मंडियां कॉटन, पी वी, पी सी, स्पन, रेयान, सिंथेटिक, केम्ब्रिक, पापलीन आदि प्रिंट कपड़ा  सेकुर्ती, नाइटी, गाउन व विभिन्न महिला उपयोगी ड्रेस मटेरियल्स बनाते है। लेकिन मास्क उत्पादकों ने इन प्रोसेसिंग केंद्रों से इन प्रिंट केम्ब्रिक आदि का फेंट, रेगज, डेमेज, मिस प्रिंट तथा फ्रेस थान आदि खरीद कर देश भर में ब्रांडेड मास्क बनाए जा रहे हैं। मास्क का उत्पादन देश भर की तमाम मंडियों में हो रहा है लाखों महिलाओं को रोजगार मिल रहा है। ये मास्क थोक में 5 रु से 50 रु में व खुदरा में 10 रु से 200 रु तक बेचे जा रहे हैं। इस प्रिंट ड्रेस मटेरियल्स के लिए ग्रे कपड़ा मालेगांव, भिवंडी, इचलकरंजी, तिरूपुर, ईरोड, सूरत, बुरहानपुर आदि मंडियों से आपूर्ति होता हैं।
- (गणपत भंसाली)