गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज से जानिए उनकी जीत का मंत्र, मेडल मिलने के बाद परिवार से भी नहीं कर पाये थे बात

गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज से जानिए उनकी जीत का मंत्र, मेडल मिलने के बाद परिवार से भी नहीं कर पाये थे बात

सालों की मेहनत का परिणाम गोल्ड मेडल के स्वरूप में मिला, शुरुआती प्रयासों में फेंकना चाहते थे अपना बेस्ट थ्रो

पिछले दिन भाला फेंक में भारत को गोल्ड मेडल जिताने वाले एथलीट नीरज चोपरा ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी जीत के मंत्र के बारे में सबको बताया था। नीरज ने कहा उन्होंने अपने मन में पहले ही ठान लिया था की शुरुआती प्रयासों में ही उन्हें अपना सर्वश्रेष्ठ दे देना है। ऐसा करने से अन्य खिलाड़ियों पर प्रेशर बनाने में वह सफल रह सकते है। दूसरा थ्रो करते ही उन्हें पता चल गया था कि यह उनका बेस्ट है।
अपने प्रतिद्वंदी जर्मनी के एथलीट योहानेस वेटेर के बारे में बात करते हुये नीरज ने कहा कि आज के दिन उनका परफॉर्मेंस उतना शानदार नहीं रहा, इस बात का उन्हें भी दुख है। पर अभी भी उन्हें वेटेर के लेवल तक पहुँचने में काफी समय लगेगा। पर वह इस बारे में कुछ भी बोलना नहीं चाहते है। वह सिर्फ और सिर्फ अपना श्रेष्ठ देना चाहते है। अब वह 90 मीटर का रिकॉर्ड बनाने का प्रयत्न करेंगे। मेडल जीतने के बाद उन्हें लोगों के कई शुभेच्छा संदेश आने लगे थे, जिसके चलते वह रात के 9 बजे तक तो अपने परिवार से बात भी नहीं कर पाये थे। 
नीरज ने कहा उसने उसके गाँव के कई वीडियो देखे, जहां लोग खुशियाँ मनाने में व्यस्त है। नीरज ने बताया कि भाला फेंक एक तकनीकी गेम है। इसके लिए ध्यान केंद्रित होना काफी जरूरी है। पूरे समय के दौरान उन्होंने अपनी तालिम पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित किया था। जिसके चलते सालों की मेहनत का परिणाम उन्हें गोल्ड मेडल के तौर पर मिला है। एथलेटिक्स में पहली बार गोल्ड आने पर नीरज ने कहा कि देश में कई खेलों में गोल्ड तो आते ही रहते है। हॉकी में भी भारत गोल्ड ला चुका था। पर एथलेटिक्स में अब तक गोल्ड नहीं आया था, जिसके कारण इस साल गोल्ड लाना जरूरी हो गया था। 
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