सूरत : शिकायतकर्ता के उपभोक्ता फोरम पहुंचते ही बीमा कंपनी ने सुलझाया दस महीने से अटका क्लेम
By Loktej
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हिंदी में एक कहावत है अगर सीधी उंगली से घी ना निकले तो उंगली टेढ़ी करनी पड़ती हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है सूरत में, जहां एक बीमाधारक की विधवा द्वारा 50 लाख रुपये के दावे को 10 माह तक रोके रखने के बाद जैसे ही आवेदनकर्ता विधवा द्वारा उपभोक्ता अदालत में मुकदमा दायर किया गया, बीमा कंपनी ने बिना समय गवाएं पूरे पैसे शिकायतकर्ता के बैंक खाते में जमा कर दी। हालांकि इसके बार शिकायतकर्ता ने ब्याज, मुआवजा, लागत की मांग को भी वापस लेते हुए अपनी शिकायत वापस ले ली है। वहीं दावा सूरत जिला आयोग के इतिहास में किसी शिकायतकर्ता द्वारा प्राप्त की गई उच्चतम राशि है।
क्या है पूरा मामला?
मामले में जानकारी दें तो सूरत के रहने वाले पिनाकिन पटेल ने जनवरी-2021 में मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी से मैक्स लाइन स्मार्ट टर्म प्लान नाम से 50 लाख की बीमा पॉलिसी ली थी। चालीस साल तक सालाना प्रीमियम 32,668 देना था। लेकिन बीमा के पहले साल में पिनाकिनभाई को खांसी, सर्दी खांसी और सांस लेने में तकलीफ के कारण 4/4/21 को स्मीयर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां उन्हें न्यूमोनाइटिस विद अर्दस डायग्नोस हुआ और सर्जरी के बाद चल रहे इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
गोल-मोल करके क्लेम पर कार्यवाही नहीं कर रही थी कंपनी
बीमा के नियमों के अनुसार मृतक बीमाधारक की पत्नी को बीमा के पैसे मिलने चाहिए थे और इसीलिए मृतक की पत्नी ने बीमा कंपनी के समक्ष 50 लाख का दावा पेश किया। लेकिन बीमा कंपनी ने शिकायतकर्ता को एक पत्र लिखा और मृतक के सभी मेडिकल रिकॉर्ड, अंतिम उपचार करने वाले डॉक्टर द्वारा पिछले मेडिकल इतिहास के बारे में स्पष्टीकरण और एनओसी जमा होने तक दावे को रोक कर रखा। इसके बाद अगले 100 महीनों तक न तो कंपनी ने क्लेम के पैसे दिए और न ही कोई उचित जवाब! इस पर शिकायतकर्ता फाल्गुनीबेन पटेल और पुत्र बीमा कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराया। इसके बाद तो मानों चमत्कार हो गया। कंपनी ने बिना किसी जानकारी के ही शिकायतकर्ता के खाते में दावे के 50 लाख जमा करा दिये।वहीं अतः शिकायतकर्ता ने भी अपनी शिकायत वापस ले ली।
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