सूरत : घर विहीन लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है आश्रय स्थान

सूरत :  घर विहीन लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है आश्रय स्थान

सूरत मनपा एवं ज्योति सामाजिक सेवा संस्था संचालित घर बिहीन आश्रय स्थान के तीन सेन्टरों में तकरीबन 800 से अधिक लोग ले रहे हैं आश्रय

सूरत मनपा एवं ज्योति सामाजिक सेवा संस्था संचालित घर बिहीन आश्रय स्थान सूरत में पिछले 3 साल से कार्यरत है। बिहीन आश्रय स्थान सूरत में  बाम्बे मार्केट, भेस्तान एवं अलथान सहित गुजरात भर में 7 सेंटर कार्यरत हैं। सूरत सेंटर की देखरेख कर रहे मुकेश झा ने बताया कि भेस्तान आवास में तकरीबन 350 लोग आश्रय ले रहे हैं। इनमें से कुछ लोग नौकरी भी करते हैं। महिलाओं को भी उनके पैरों पर खड़ा करने के लिए प्रेरित की जाती है। इस सेंटर में उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, गुजरात आदि के घर विहीन लोग आश्रय लिए हुए हैं। भेस्तान सेंटर में आश्रय लिये तकरीबन 20 लोगों को उनके परिवार के सदस्यों के पास भेजा गया। यानी परिवार वाले अपने सदस्य को सहर्ष अपने साथ ले गये और उनका देख रेख भी अच्छी तरह से कर रहे है। ऐसे लोगों का हाल-चाल भी संस्था समय-समय पर लेती रहती है। सेंटर में आश्रय लेने वाले तकरीबन 150 लोग काम करने जाते हैं। भेस्तान सेन्टर के कुल 350 लोगों में से 87 बच्चे हैं। सूरत के अलावा आनंद, अहमदाबाद,पालनपुर,डिसा, नवसारी में भी ज्योति सामाजिक सेवा संस्था कार्यरत हैं। 

पिछले छह महीने से रहता है दीलीप 


बिहीन आश्रय स्थान भेस्तान सेंटर में मध्य प्रदेश के रीवा निवासी दिलीप कुमार नट परिवार के साथ रह रहा है। 6 महीना पहले यह परिवार पांडेसरा के गणेश नगर वड़ोद में रहता था। वहां कई दिनों से भूखे रहने एवं अन्य परेशानी के बाद जानकारी होने पर आश्रय में लाया गया। अब दिलीप कुमार स्वयं कुछ काम कर लेते हैं यानी बैठकर खमन बेचते हैं और उनकी पत्नी भी काम पर जाती है। उल्लेखनीय है कि दिलीप कुमार किसी बीमारी की चपेट में आने से दिव्यांग हो जाने के बाद उनका परिवार भी उनका साथ नहीं दिया। जिसके बाद वे सूरत आए और आज आश्रय में रह रहे है। इसी तरीके से दिलीप लाल मंडल एवं उनकी पत्नी शांति मंडल भी रहे हैं,जो काम कर अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए प्रयासरत हैं। पूरे सेंटर में तकरीबन 15 दिव्यांग लोग हैं। इसी तरीके से भेस्तान सेंटर, अलथाण सेंटर एवं न्यू बॉम्बे मार्केट सहित सूरत के तीन सेंटरों में तकरीबन 800 से अधिक लोग आश्रय लिए हुए हैं।
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