अदालत ने कह दिया है - लाइट मोटर व्हीकल के लायसंस धारी को गुड्स व्हीकल चलाने का भी अधिकार है!

अदालत ने कह दिया है - लाइट मोटर व्हीकल के लायसंस धारी को गुड्स व्हीकल चलाने का भी अधिकार है!

एक दुर्घटना के मामले में लाइसेन्स का हवाला देते हुए बीमा कंपनी ने क्लेम को अस्वीकार कर दिया था

वाहन दुर्घटनाओं के मामलों में अक्सर बीमा कंपनी कोई न कोई बहाना बनाकर क्लेम देने से बचती नजर आती है। हालांकि ये हर मामले की स्थिति नहीं है पर अधिकांश मामलों में ऐसा देखा गया है। ऐसे ही एक मामले की सुनवाई में बीमा कंपनी ने यह कहकर पॉलिसी की शर्त के उल्लंघन के दावे को खारिज कर देती है कि चालक के पास दुर्घटनाग्रस्त वाहन चलाने वैध लाइसेंस नहीं है। हालांकि सूरत जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम के अध्यक्ष न्यायाधीश पीपी मखिया और सदस्य पूर्वीबेन जोशी, डॉ तीर्थेश मेहता एलएमवी लाइसेंस वाले चालक द्वारा चलाए गए माल वाहन को सही मानते हुए बीमा कंपनी को दुर्घटना क्षति के दावे के लिए 7 प्रतिशत ब्याज सहित 2.04 लाख और नुकसान के रूप में 13 हजार और आवेदन लागत का भुगतान करने का आदेश दिया है।
मामले की जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ता सरबजीत कौर महेंद्र के पास बोलेरो पिकअप एफबी नामक एक मोटर वैन थी। वाहन का बीमा आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी द्वारा किया गया था। जब पॉलिसी लागू थी, 17-7-16 को शिकायतकर्ता के पति उदलसिंह सिखलादत्त अपने ड्राइवर के साथ वैन से वांकानेर से राजकोट जा रहे थे। इसी दौरान वैन सड़क पर पलट गई और शिकायतकर्ता के पति की मौके पर ही मौत हो गयी और वैन गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गयी। वांकानेर पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कर बीमा कंपनी को सूचित करने के बाद सर्वेयर ने मौके पर रिपोर्ट बनाई गई। कार को डीलर के ऑटो मोबाइल वर्कशॉप में ले गया जहां 2.86 लाख की मरम्मत का अनुमान लगाया और अंतिम रिपोर्ट के लिए सर्वेयर नियुक्त कर बीमा कंपनी में दावा कियक गया जिसे कंपनी ने खारिज कर दिया। कंपनी ने इसके लिए यह कारण दिया कि दुर्घटना वाहन एक माल वाहन था और चालक के पास लाइसेंस नहीं था।
इस पर शिकायतकर्ता सरबजीत कौर और उसके नाबालिग बच्चों ने श्रेयस देसाई के माध्यम से सूरत जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम में शिकायत की।जिसकी सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के स्थापित फैसले का हवाला देते हुए कहा कि जिस चालक के पास एलएमवी चलाने का लाइसेंस है वह वाहन चलाने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि बीमा कंपनी बीमाधारक के दावे को ऐसे किसी कारण से अस्वीकार नहीं कर सकती है। जिसे उपभोक्ता अदालत ने स्वीकार कर लिया है और शिकायतकर्ता बीमाकर्ता को ब्याज सहित दावा राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया है।
Tags: