सूरत में आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाया गया
राज्यसभा सांसद डॉ. नरेश बंसल ने आपातकाल को बताया लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय, मीसा बंदियों का हुआ सम्मान
सूरत। भारतीय जनता पार्टी द्वारा 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर बुधवार को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर सूरत शहर भाजपा अध्यक्ष परेश पटेल ने आपातकाल के काले दिनों की यादें साझा करते हुए कहा कि वह समय भारतीय लोकतंत्र के लिए अत्यंत कठिन था। उन्होंने अपने भाषण का समापन यह कहकर किया कि इस विषय पर विस्तृत जानकारी देने के लिए मंच पर उपस्थित राज्यसभा सांसद एवं मुख्य वक्ता डॉ. नरेश बंसल प्रकाश डालेंगे।
डॉ. नरेश बंसल ने अपने संबोधन में कहा कि आपातकाल लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला अध्याय था, जब देश की जनता के मौलिक अधिकारों को छीन लिया गया था। उन्होंने बताया कि 25 जून 1975 की रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने सत्ता की लालसा में राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद पर दबाव बनाकर बिना कैबिनेट की मंजूरी के आपातकाल की घोषणा कर दी थी।
उन्होंने कहा कि यह दिन नई पीढ़ी के लिए जानना जरूरी है क्योंकि प्रेस, न्यायपालिका और नागरिक अधिकारों को पूरी तरह खत्म कर दिया गया था। जेपी, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेता और करीब एक लाख आरएसएस कार्यकर्ताओं को जेलों में बंद कर दिया गया था। लोगों को बर्बर यातनाएं दी गईं, नसबंदी के नाम पर 62 लाख लोगों पर अत्याचार हुआ और न्याय की मांग करने का अधिकार भी छीन लिया गया।
इस कार्यक्रम में आपातकाल के समय मीसा के अंतर्गत जेल गए सूरत शहर के गणमान्य नागरिकों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। भाजपा शहर अध्यक्ष और सांसद ने उनका अभिनंदन किया और उनके संघर्ष को लोकतंत्र की नींव बताया।
डॉ. बंसल ने कहा कि इंदिरा गांधी को अदालत से दोषी करार दिए जाने के बाद उन्होंने यह तानाशाही कदम उठाया था और संविधान में 38वां, 39वां व 42वां संशोधन कर प्रधानमंत्री सहित शीर्ष पदों को मुकदमेबाजी से छूट देने की कोशिश की गई थी। उन्होंने कहा कि उस समय दिल्ली के तुर्कमान गेट पर अल्पसंख्यकों के घर और दुकानें तोड़ी गईं, और नागरिकों को उनके अधिकारों से वंचित कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि अगर आरएसएस न होता तो देश और लंबे समय तक अंधकार में रहता। आपातकाल के विरोध में संघर्ष करने वाले राष्ट्रभक्तों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के बलिदान की बदौलत ही आज लोकतंत्र जीवित है।
शहर प्रभारी शीतलबेन सोनी, सांसद मुकेशभाई, महापौर दक्षेशभाई मावाणी, महासचिव किशोर बिंदल, विधायक प्रवीणभाई, संगीता पाटिल, उपमहापौर नरेंद्रभाई, सत्तारूढ़ दल की नेता शशिबेन त्रिपाठी समेत भाजपा कार्यकर्ता और वरिष्ठ नेता बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।