सूरत कपड़ा बाजार : क्या हालिया मंदी का कारण ओवर प्रोडक्शन है, जानिये क्या कहते हैं एक्सपर्ट

सूरत कपड़ा बाजार : क्या हालिया मंदी का कारण ओवर प्रोडक्शन है, जानिये क्या कहते हैं एक्सपर्ट

व्यापारियों का मानना कि बीते 27-28 सालों में ऐसी मंदी नहीं आयी थी

कोरोना के प्रभाव से अभी तक कपड़ा बाजार पूरी तरह बाहर नहीं आ सका है। दो साल बाद भी बाजार में मंदी है। इतना ही नहीं मार्च-अप्रैल के महीने में व्यापारियों द्वारा बेचा गया अधिकांश सामान भी वापस आ जा रहे हैं। साउथ गुजरात टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन की ओर से बुधवार को बाजार की स्थिति पर चर्चा के लिए कुछ व्यापारियों की बैठक बुलाई गई थी। जिसमें व्यापारियों का मानना ​​था कि पिछले 27-28 वर्षों में ऐसी कोई मंदी नहीं आई है, अगर व्यापारियों को मंदी से बाहर आना है तो उन्हें परिधान (गारमेंट्स) उद्योग की ओर रुख करना होगा।
आपको बता दें कि सूरत टेक्सटाइल मार्केट में हुई बैठक में एसजीटीटीए के अध्यक्ष सुनील जैन ने कहा कि पिछले 27-28 सालों में कपड़ा बाजार में ऐसी कोई मंदी नहीं आई है। नोटबंदी, जीएसटी और कोरोना इन सब से ज्यादा चिंताजनक मौजूदा स्थिति है। अगर व्यापारियों को इस स्थिति से बाहर निकलना है तो व्यापार का तरीका बदलना होगा और व्यापार को नए तरीके से करना होगा। साड़ी और ड्रेस मटेरियल के साथ-साथ डाई वर्जन पर भी ध्यान देना होगा। अधिक उत्पादन की समस्या भी बढ़ती जा रही है। इन तमाम चुनौतियों के बीच व्यापारियों को नई सोच के साथ आगे बढ़ना होगा।
बोर्ड के अध्यक्ष सावरप्रसाद बुधिया ने कहा कि मौजूदा स्थिति बेहद चिंताजनक है। इन दिनों व्यापारियों के साथ धोखाधड़ी के बहुत से मामले भी सामने आए है। ऐसे में सभी व्यापारियों को सावधानी बरतने की जरूरत है। सूरत के कपड़ा व्यापारियों को साड़ी और ड्रेस के साथ-साथ गारमेंट्स और टेक्निकल टेक्सटाइल का भी उत्पादन करना चाहिए। हमें उन व्यापारियों के बारे में भी पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए जिनके साथ हम व्यापार कर रहे हैं। केवल उन लोगों के साथ व्यापार करने की सलाह दी जाती है जिनके पास उनके बारे में पर्याप्त जानकारी है।
वहीं कपड़ा व्यापारी सिंचन अग्रवाल ने कहा कि कारोबारियों को व्यापार में मौजूदा मंदी से परेशान होने के बजाय धैर्य रखने की जरूरत है। यदि हम कपड़ा बाजार में अभूतपूर्व मंदी का धैर्य के साथ सामना करते हैं तो समस्या का समाधान करना होगा। बैठक में बड़ी संख्या में कपड़ा व्यापारियों ने भाग लिया।
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