
सूरत के स्मिमेर अस्पताल की बलिहारी; जो काम चिकित्सा कर्मी और वार्डबॉय को करने चाहिए वह रिश्तेदारों से करवाए जाते हैं!
By Loktej
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भतीजे ने खोली अपने चाचा के पैर की पट्टी
स्मीमेर अस्पताल से लापरवाही का एक नया मामला सामने आया है। ऑपरेशन के बाद आगे के इलाज और ड्रेसिंग के लिए अस्पताल में आये एक मरीज को अपने भतीजे के पास से पट्टी खुलवाना पड़ा। कापोदरा क्षेत्र निवासी रामकिशन विश्वकर्मा अपने भतीजे अखिलेश के साथ गुरुवार को स्मीमेर अस्पताल में ऑपरेशन के बाद आगे के इलाज के लिए आया था। अखिलेश ने यहां हड्डी रोग विभाग की ओपीडी में पहुंचने के बाद डॉक्टरों ने जाँच के बाद अखिलेश को निर्देश दिया गया कि रमिकाशन के बाएं पैर पर लगी प्लास्टर की पट्टी खोल दी जाए। अखिलेश ने ओपीडी स्टाफ से अपील की कि वह पट्टी नहीं खोल सकता लेकिन किसी ने उसकी बात नहीं मानी। आखिरकार अखिलेश ने महामुशिबत में चाचा रामकृष्ण के पैर की पट्टी खोल दी।
सूत्रों के अनुसार इस प्रकार का ऑपरेशन न केवल हड्डी रोग विभाग में ही नहीं बल्कि कई वार्डों में भी मरीज के परिजनों द्वारा कराया जाता है। स्टाफ की कमी के बहाने मरीज के परिजनों को रिपोर्ट लेने के लिए, स्ट्रेचर या व्हीलचेयर सँभालने जैसे काम जो वर्डबॉय को करना चाहिए वो मर्ज के परिजनों से कराया जाता है। ऐसी शिकायतों से अवगत होने के बावजूद, आरएमओ किसी न किसी कारण से उनकी अनदेखी कर रहे हैं।
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