सूरत : पश्चिम रेलवे द्वारा चालू वित्तीय वर्ष में 835 टाइम टेबल्‍ड पार्सल रेकों का परिचालन

सूरत : पश्चिम रेलवे द्वारा चालू वित्तीय वर्ष में 835 टाइम टेबल्‍ड पार्सल रेकों का परिचालन

पश्चिम रेलवे ने प्रारंभिक राजस्व में 13,000 करोड़ रुपये के आँकड़े की एक बड़ी उपलब्धि को पार कर लिया है

पार्सल ट्रेनों से 114 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्‍व अर्जित
पश्चिम रेलवे द्वारा अत्यावश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को जारी रखने के लिए देश भर में गुड्स और पार्सल विशेष ट्रेनों का लगातार परिचालन किया जा‌ रहा है। इसी क्रम में पश्चिम रेलवे द्वारा अत्यावश्यक वस्तुओं को देश के विभिन्न भागों में पहुंचाने के लिए 1 अप्रैल, 2021 से 14 मार्च, 2022 तक 835 पार्सल ट्रेनें चलाई गई हैं। इस अवधि के दौरान इन मालगाड़ियों में 83.29 मिलियन टन लदान‌ किया गया जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 76.65 मिलियन टन लदान की तुलना में लगभग 9% अधिक है। इसके परिणाम स्वरूप कुल 10,293 करोड़ रुपये से अधिक का माल राजस्व प्राप्त हुआ है। पश्चिम रेलवे की मंडल बिजनेस डेवलपमेंट यूनिटों (BDUs) की गहन मॉनिटरिंग के फलस्वरूप न केवल पार्सल यातायात में सुधार हुआ है बल्कि नए यातायात के रूप में बेहतर माल ढुलाई के अवसर भी प्राप्त हुए हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि हाल ही में पश्चिम रेलवे ने प्रारंभिक राजस्व में 13,000 करोड़ रुपये के आँकड़े की एक बड़ी उपलब्धि को पार कर लिया है।
पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी सुमित ठाकुर द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार 1 अप्रैल, 2021 से 14 मार्च, 2022 तक पश्चिम रेलवे ने अपनी पार्सल विशेष ट्रेनों के माध्यम से 3.21 लाख टन से अधिक वजन वाली वस्तुओं का परिवहन किया है, जिनमें कृषि उत्पाद, दवाएं, चिकित्सा उपकरण, मछली, दूध आदि मुख्य रूप से शामिल हैं। इस परिवहन के माध्यम से लगभग 114.45 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त किया गया। पश्चिम रेलवे द्वारा 1.25 लाख टन से अधिक भार और वैगनों के 100% उपयोग के साथ 174 दुग्ध विशेष ट्रेनें चलाई गईं। इसी तरह अत्यावश्यक वस्तुओं के परिवहन के लिए 36,000 टन से अधिक भार वाली 176 कोविड-19 विशेष पार्सल ट्रेनें भी चलाई गईं। इसके अलावा 1 लाख टन से अधिक माल परिवहन हेतु 298 इंडेंटेड रेक भी 100% उपयोग के साथ चलाए गए। किसानों को उनकी उपज के लिए नए बाजार खोजने में मदद करने तथा इसके किफायती और तेज परिवहन के लिए विभिन्न मंडलों से इस अवधि के दौरान 52,000 टन से अधिक भार वाली 187 किसान रेलें भी चलाई गई हैं।
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