सूरत : पत्नी और पुत्र को जिंदा जलाकर 23 साल से फरार पति पकड़ा गया, दूसरी शादी भी कर ली थी!

सूरत : पत्नी और पुत्र को जिंदा जलाकर 23 साल से फरार पति पकड़ा गया, दूसरी शादी भी कर ली थी!

1999 में न्यायालय से 21 दिन के पेरोल पर बाहर आने पर वह फरार हो गया था आरोपी

आपने फिल्मों में देखा होगा कि कोई अपराधी जेल से भाग जाता है और पहचान बदल कर कही और रहने लगता है. ऐसा ही कुछ सामने आया सूरत से जहाँ क्राइम ब्रांच ने मुखबिर की सूचना के आधार पर वडोदरा सैन्ट्रल जेल से 23 साल पहले पेरोल मिलने पर फरार हुए दोहरे हत्याकांड के मामले में आजीवन कारवास के कैदी को मुंबई के निकट उल्हासनगर से गिरफ्तार किया है। यहां वह लंबे समय से अपनी पहचान बदल कर रह रहा था।
क्राइम ब्रांच के मुताबिक 23 साल पहले अपनी पत्नी और बच्चे को जलाकर मार देने वाले आरोपी रमेश तायडे को उल्हासनगर के भरतनगर-२ से पकड़ा गया। अपराध की घटना के समय अपराधी लिम्बायत के विनोबा भावे नगर में अपनी पत्नी व दो बच्चों के साथ रहता था और लूम कारखाने में काम कर परिवार का पालन करता था। काम के दौरान किसी महिला के साथ प्रेम संबंध में आ जाने से रमेश और उसकी पत्नी के बीच अक्सर झगड़ा होता था। वह पत्नी व बच्चों के साथ मारपीट भी करता था। घटना वाले दिन यानी 28 अक्टूबर 1995 को पत्नी के साथ इसी मुद्दे पर लड़ाई होने पर उसने पर उस पर मिट्टी का तेल छिडक़ कर आग लगा दी थी। फिर उसने सात साल के बच्चे को भी जलती हुई पत्नी पर फेंक दिया था। इस घटना में दोनों की मौत हो गई थी। इस मामले में लिम्बायत पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर कार्रवाई की थी।
गिरफ्तारी में सुनवाई के बाद 1997 में सूरत सत्र न्यायालय ने उसे आजीवन कारवास की सजा सुना उसे वडोदरा सैन्ट्रल जेल भेज दिया गया था। दो साल बाद 1999 में न्यायालय से 21 दिन के पेरोल पर बाहर आने पर वह फरार हो गया। इस संबंध में उसके खिलाफ वडोदरा के रावपुरा पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया था। रावपुरा पुलिस ने उसके सभी संभावित ठिकानों पर तलाश की थी लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिला था। इस पर उसे भगोड़ा घोषित किया गया था। 
आपको बता दें कि बीते एक साल से इस मामले पर काम कर रही सूरत पुलिस ने एक मुखबिर से उसके उल्हासनगर में छिपे होने की जानकारी मिलने पर क्राइम ब्रांच की टीम ने इसकी तस्दीक कर उसे उसके घर से गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उसने बताया कि उसने उल्हासनगर आने के बाद अपना नाम बदल दिया था। वह यहां रमेश की जगह दिनेश तायड़े बन कर रह रहा था। उसने अपनी पुरानी पहचान के सारे साक्ष्य मिटा दिे थे। अपने गांव आना जाना और रिश्तेदारो मेल जोल भी बंद कर दिया था।
इस मामले में क्राइम ब्रांच के पुलिस उप निरीक्षक पीएन तायड़े ने बताया कि हत्याकांड के बाद रमेश अपनी दूसरी पुत्री से भी कभी नहीं मिला। उस बच्ची को रिश्तेदारों ने पाल पोस कर बड़ा किया और उसकी शादी करवा दी थी। उधर रमेश फरार होने के बाद अलग अलग स्थानों पर छिप कर रहा। फिर उसने फर्जी नाम दिनेश तायड़े रख लिया। वह उल्हासनगर की फैक्ट्रियों में मजदूरी करता था। मजदूरी के दौरान संपर्क में आई एक महिला से शादी भी कर ली उसे सत्रह साल का एक पुत्र भी है। पुलिस से जब उन्हें पिता की करतूत के बारे में पता चला तो दोनों चोंक गए। उन्हें शुरू में भरोसा ही नहीं हुआ कि वह ऐसा कर सकता है।
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