सूरत : जीएसटी की दरें बढऩे से नकदी और लंबी अवधि के उधार के साथ कारोबार में आएगी मुश्किलें

सूरत : जीएसटी की दरें बढऩे से नकदी और लंबी अवधि के उधार के साथ कारोबार में आएगी मुश्किलें

कपड़ा कारोबारियों ने सोशल मीडिया पर बतायी अपनी पीड़ा

जीएसटी दर में वृद्धि का असर खुदरा विक्रेताओं पर उतना नहीं पड़ रहा है, जितना थोक विक्रेताओं पर पड़ रहा है। दरअसल कैश में काम करने वाले और लंबी अवधि का कारोबार करने वाले व्यापारियों को जीएसटी दर पर आपत्ति है।
खुदरा विक्रेताओं के साथ व्यापार करने वाले  थोक विक्रेताओं का भुगतान नीति नियम एक माह का है। लेकिन भुगतान समय पर नहीं आता है। तीन-चार महीने में आता है। हालांकि हर महीने जीएसटी रिटर्न दाखिल करना होता है, इसलिए निवेश राशि बढ़ जाती है। जीएसटी की दर 5 से बढ़ाकर 12 करने पर खुदरा विक्रेताओं को कोई आपत्ति नहीं है। साथ ही 7 फीसदी ​​का बोझ उपभोक्ताओं पर पड़ता है। इसका उपभोक्ताओं या खुदरा विक्रेताओं द्वारा विरोध नहीं किया जाता है। तो थोक व्यापारी विरोध क्यों कर रहे हैं? यह सवाल एक बाजार व्यापारी ने भी उठाया था।
व्यापारियों को नकद लेनदेन में 5 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी होने पर कड़ी आपत्ति है। वीवर्स को 12 फीसदी चुकाकर खुदरा विक्रेताओं से खुदरा विक्रेताओं के साथ व्यापार 12 फीसदी वसूलते हैं, इसके बावजूद इसका विरोध किया जा रहा है। अगर तीन-चार महीने में  बाहर का भुगतान आता है, तो अधिनियम में बदलाव किया जाना चाहिए। नहीं तो व्यापार में अधिक निवेश होने पर पूंजी की व्यवस्था करनी चाहिए। आपको बैंक से लोन मिल सकता है।
वाट्सएप ग्रुप में मैसेज वायरल,  छोटे व्यापारियों का कारोबार होगा चौपट 
जीएसटी दरों में बदलाव की घोषणा के बाद से व्यापारी चिंतित हैं। समय-समय पर दरों का विरोध किया जाता रहा है। निराश व्यापारी सोशल मीडिया पर भी अपना गुस्सा निकाल रहे हैं। व्यापारियों के व्हाट्सएप चैट में व्यंग्य और फिल्मी गीतों की नकल  वायरल हो रही हैं।  जीएसटी की बढ़ी हुई दर से छोटे व्यापारियों का कारोबार चौपट हो जाएगा और भारी नुकसान होगा। ऐसा मैसेज सामान्य है।
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