सूरत : 18 साल पहले 4 हजार रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में एसएमसी के जूनियर इंजीनियर को तीन साल की कैद

सूरत : 18 साल पहले 4 हजार रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में एसएमसी के जूनियर इंजीनियर को तीन साल की कैद

चंद्रेश कुमार गांधी ने ठेकेदार के रनिंग बिल के मंजूरी के लिए 3 हजार रुपये और सिक्युरिटी डिपॉजिट वापस लौटाने लिए 1000 रुपये की मांग की थी

आज से 18 साल पहले सूरत महानगरपालिका के  ठेकेदार से रनिंग बिल पास करने और टेंडर डिपॉजिट वापस लौटाने के बदले में 4 हजार रूपये की रिश्वत मांगी थी। इस मामले में कतारगाम नोर्थ जोन के आरोपी जूनियर इंजीनियर को एसीबी केसों की विशेष अदालत ने कसूरवार ठहराते हुए आरोपी को तीन साल की कैद और 10 हजार रूपये का जुर्माना और जुर्माना नहीं भरने पर और चार माह की कैद की सजा सुनाई।
सूरत महानगरपालिका के फरियादी ठेकेदार ने वर्ष 2000-2001 के दौरान सिंगणपोर चार रास्ता से वेडरोड पर स्ट्रोम ड्रेनेज बिछाने के लिए 30.94 लाख रुपये का टेंडर भरा था। जो मंजूर होने के बाद नियम के मुताबिक फरियादी ने सिक्योरिटी डिपॉजिट के तौरपर 62 हजार रूपये जमा करने के बाद टेंडर के मुताबिक कामकाज शुरू किया था। फरियादी ने काम के मुताबिक बिल रखकर मंजूर करने के बाद आखिरी 2 लाख का बिल पास करने रखा था। इस बिल को पास करने के लिए नोर्थ जोन कतारगाम के जूनियर इंजीनियर चंद्रेशकुमार नरेशचंद्र गांधी ने 3 हजार रूपये  की रिश्वत फरियादी से मांगी थी। जिसे फरियादी द्वारा नहीं दिए जाने पर टेंडर के मुताबिक काम पूरा होने के बाद सिक्योरिटी डिपॉजिट वापस करने के लिए आवेदन किया था। जिससे आरोपी इंजीनियर ने पूर्व के रनिंग बिल के 3 हजार और सिक्योरिटी डिपॉजिट वापस करने के 1 हजार रूपये मिलाकर कुल 4 हजार रूपये की रिश्वत मांगी थी। 
जिससे फरियादी ठेकेदार द्वारा एसीबी में शिकायत दर्ज कराई गई थी। जिससे 23 जनवरी 2003 को नोर्थ जोन कार्यालय में ही आरोपी फरियादी से रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकड़ लिया था। एपीपी राजेश डोबरिया और तेजस अशोक कुमार पंचोली ने आज 18 साल पुराने रिश्वत मामले की अंतिम सुनवाई में आरोपी के खिलाफ मामले को साबित कर दिया। जिससे कोर्ट ने रेकर्ड पर के सबूत और फरियादी पक्ष की दलीलों को मान्य रखकर आरोपी चंद्रेशकुमार गांधी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की दफा 7 में दोषी ठहराते हुए दो साल की कैद, 5 हजार रूपये जुर्माना और जुर्माना नहीं भरने पर और दो माह की सजा सुनाई। वहीं दफा 13 (1) घ तथा 13 (2) के तहत तीन साल की कैद, 10 हजार जुर्माना और जुर्माना नहीं भरने पर और चार माह की कैद की सजा सुनाई।
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