विश्व दिव्यांंगता दिवस : दिव्यांगों को स्व-रोजगार योजना शुरू होने की आस, पढ़ें दिव्यांगों की दास्तान

नीति के अभाव से सालों से केबिन आवंटित नहीं किए गए

आज विश्व दिव्यांगता दिवस पर शहर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। दिव्यांगों को स्व-रोजगार के लिए मनपा द्वारा सार्वजनिक जगहों पर केबिन आवंटित की जाती थी। लेकिन सालों से नई केबिन आवंटित नहीं की गई है। कई दिव्यांग मनपा द्वारा आवंटित किए जाने वाली केबिन की राह देख रहे है। पूर्व पार्षद ने बताया कि हमारे कार्यकाल में केबिन आवंटित करने का प्रपोजल आया था। केबिन में एसटीडी-पीसीओ चलाने की मंजूरी थी, लेकिन हाल में टेक्रोलॉजी का विकास होने से एसटीडी बंद होने से नई पॉलिसी तैयार करने का सुझाव दिया था। लेकिन बाद में नई पॉलिसी के अभाव से केबिन आवंटित करना संभव नहीं हुआ।
वराछा रोड मोहन चालमें चोकसी बिल्डिंग में रहने वाले दिव्यांग अशोक राम कनबरकर ने बताया कि उनके कमर की रूढ और नसों में तकलीफ होने से पिछले 12 सालों से हालचाल भी नहीं कर सकते। तीन  व्हील वाली साइकलि से घुमते है। खाना बनाना और घरकाम सहित सभी काम खुद करते है। दिव्यांगता के कारण जल्दी कोई नौकरी पर नहीं रखता है। मैंने केबिन के लिए कई प्रयास किए लेकिन हाल योजना बंद होने की बात कहीं जाती है।
रांदेर रोड पर रामनगर निवासी रमेश खीमजी मारू बचपन में पॉलियो के कारण एक पैर से दिव्यांग है। पत्नी की 2006 में न्युमोनिया के कारण मौत होने से फिलहाल भाई-भाभी के साथ रहता है। हाल में स्क्रीन प्रीटिंग का काम करने अपना गुजारा चलाता है। कई सालों से काम मिलना कम हो गया है। पिछले कई सालों से केबिन के लिए प्रयास किया लेकिन उसे मनपा द्वारा केबिन आवंटित नहीं की गई।
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