सूरत : बारडोली की उका तरसाडिया यूनिवर्सिटी के इंटीरियर डिजाइनिंग के छात्रों ने शिक्षक पर लगाए गंभीर आरोप

सूरत : बारडोली की उका तरसाडिया यूनिवर्सिटी के इंटीरियर डिजाइनिंग के छात्रों ने शिक्षक पर लगाए गंभीर आरोप

छात्रों ने कहा कि प्रेजेंटेशन के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है

 बारडोली का उका तरसाडिया विश्वविद्यालय दक्षिण गुजरात के निजी विश्वविद्यालयों में से एक है। सुप्रसिद्ध उका तरसाडिया विश्वविद्यालय के इंटीरियर डिजाइन फैकल्टी के छात्रों द्वारा गुरुवार को सूरत जिला कलेक्ट्रेट में अपर कलेक्टर को ज्ञापन दी गई। छात्रों ने प्रेजेंटेशन में कहा कि इंटीरियर डिजाइनिंग विभाग के एचओडी डिंजल वाडीवाला ने छात्रों से व्यक्तिगत और सोशल मीडिया में अवैध काम करवाती है। उनके पढ़ाई में न आने वाले ऐसे  गलत काम आग्रह पूर्वक कराती है। छात्रों को लगातार एटीकेटी देने की धमकी भी देती है।
डायरेक्टर एवं प्रिंसिपल से पेशकश के बावजूद इंटीरियर डिजाइन विभाग के एचडी डिंजल वाडीवाला अपने फैकल्टी के छात्रों को दबाव देकर दूसरे काम करा रही हैं। कॉलेज के अन्य विभागों के शिक्षक छात्रों को ठीक से पढ़ाने  की शिकायत करने के लिए दबाव देती थी। छात्रों से बातचीत के अनुसार उन्होंने कहा कि मैडम के व्यवहार के कारण सीनियर छात्र भी लगातार मानसिक प्रताड़ना का शिकार हो रहे थे।  छात्रों ने आरोप लगाया कि डिंजल वाडीवाला के संबंध में हमने निदेशक और प्राचार्य को  बार-बार पेशकश के बावजूद, वे मैडम को संभाल रहे हैं, उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
छात्र कर रहे हैं झूठे आरोप : शिक्षक
इंटीरियर डिजाइनिंग के एचओडी  डिंजल वाडीवाला ने कहा, "मैंने छात्रों को किसी भी तरह का काम नहीं सौंपा है।" कम उपस्थिति के कारण मैंने बार-बार उन्हें उपस्थित होने के लिए कहा। यह कहना निराधार है कि मेरे द्वारा मानसिक प्रताड़ना दी गई। छात्र झूठे आरोप लगा रहे हैं।
इसमें कोई सच्चाई नहीं है कि उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है: आचार्य
इंटीरियर डिजाइनिंग फैकल्टी के प्रिंसिपल सुमेश मोदी ने कहा, "छात्रों ने मुझे एक महीने पहले पेशकश किया था।" छात्रों को बहुत ही शांति से सुना गया। विद्याथियों की उपस्थिति बहुत कम होने से उन्हें परीक्षा में बैठाया जा सके ऐसी स्थिति नहीं होने से  उन्हें कॉलेज में शेष सभी दिनों में उपस्थित होने का बल पूर्वक आग्रह किया जा रहा था। जब भी उन्होंने प्रदर्शन किया है मैंने सभी मामलों को गंभीरता से लिया है। कॉलेज में जो भी फैसला होता है वह छात्रों के हित में होता है। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि छात्रों का मानसिक शोषण किया जा रहा है।
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