विश्व कपास दिवस : देश में 46 हजार करोड़ के कपास उत्पादन के साथ गुजरात नंबर वन

विश्व कपास दिवस : देश में 46 हजार करोड़ के कपास उत्पादन के साथ गुजरात नंबर वन

1843 में देश की पहली कपड़ा मिल भरूच में स्थापित हुई

विश्व में सफेद सोना कहा जाने वाले कपास के साथ सूरत और गुजरात का सालों पुराना संबंध है। कपास का ऋग्वेद में उल्लेख है। 7 अक्टूबर विश्व में कपास दिवस के तौरपर मनाया जाता है। ऐसे में 45 करोड़ रूपये के उत्पादन के साथ गुजरात देश में अव्वल है। गुजरात में वर्ष 2001 में कपास का 30 लाख उत्पादन होता था, जो 2021 में बढक़र 90 लाख तक पहुंच गया।
आजादी से पहले पूरे देश में देशी कपास का बोलबाला था। लोग घर-घर चरखा की मदद से खादी और कपड़ा बुनकर परिवार का गुजारा चलाते थे। कोटन एसोसिएशन के ऑफ इंडिया, मुंबई के डायरेक्टर जयेश देलाडे ने बताया कि 1921 में यानि कि आज से 100 साल पूर्व इंडियन सेंट्रल कोटन कमेटी कार्यरत होने से कपास के संशोधन को गति मिली। हालांकि एक समय किसान कर्ज के बोझ के तले दब गए थे। लेकिन नए संशोधन और निर्यात पॉलिसी के कारण किसानों की गाड़ी फिर से पटरी पर आयी थी।
देश में  पहली बार देशी संकर कपास और देशी संकर-7 कपास का उत्पादन हुआ। इसमें सूरत के कृषिफार्म का सबसे बड़ा योगदान रहा है। इस फार्म ने संकर बरज का तोहफा दिया और कपास की खेती में क्रांति आयी। इसके बाद बीटी कपास भी सूरत ने वर्ष 2002 में देश को दी थी। इस कपास के आगमन से कपास की खेती में दूसरी नई आधुनिक क्रांति आयी।
1843 में देश की पहली कपड़ा मिल गुजरात के भरूच में स्थापित हुई। उस समय कपास की भरूची-1 और सूरती-1, घोघारी जाती प्रचलित थी। इसके अलावा 1886 में ब्रिटिश द्वारा सूरत में कपास संशोधन योजना लागू की गई। 1951 में सूरत से पहली बार अमेरिकन कपास  देवीराज सामने आयी थी।

































































































































































































































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