सूरत में दशामां की अर्ध विसर्जित मूर्तियों को एक‌त्रित कर फिर से विसर्जन किया

सूरत में दशामां की अर्ध विसर्जित मूर्तियों को एक‌त्रित  कर फिर से विसर्जन किया

संस्कृति रक्षा स‌मिति के सदस्यों ने शहर में अर्ध विसर्जित तथा किनारो पर छोडी गई दशामां की मूर्तिओं को एकत्रित करके दुबारा सम्मान पूर्वक विसर्जन किया गया।

लोग माताजी की स्थापना तो करते है मगर सम्मानपूर्वक विसर्जन नही करतेः आशिष सूर्यवंशी
लोगों ने नियमों को तोड़ा और मूर्तियों को भटकते हुए छोड़ दिया था, जिससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची
दशमा की स्थापना के बाद भक्तों ने विसर्जन के दौरान ऐसा व्यवहार किया जिससे लोगो की आस्था को ठेस पहुंची थी। पुलिस द्वारा पीओपी की प्रतिमाओं और तापी नदी के घाटों के साथ-साथ झील या नहर में विसर्जित नहीं करने का नोटिस जारी किया था। लेकिन इसका उल्लंघन करते हुए दशमा के भक्तों ने मूर्तियों को झीलों और नहरों में विसर्जित कर दिया। जो मूर्ति विसर्जित न होकर किनारे पर पडी थी जिसे संस्कृति रक्षा समिति के सदस्यों ने आज डुमस के समुद्र में पुरे मान सम्मान के साथ विसर्जित किया। 
सांस्कृतिक रक्षा समिति के युवाओं ने दशामां की मूर्तियों को झीलों, नहरों और तापी नदी में जाने से रोकने के प्रयास किए थे, लेकिन दशा माता के भक्तों ने गुप्त रूप से मूर्तियों को विसर्जित कर दिया था। शहर से सभी दशामां की मूर्तियों को एकत्र कर लिया था जो अर्धविसर्जित स्थिति में थीं। युवा कार्यकर्ताओं ने शहर के चारों ओर से 800 से अधिक मूर्तियों को इकट्ठा करते हुए आज डुमस सागर में औपचारिक रूप से दुबारा विसर्जन कर दिया। 
सांस्कृतिक रक्षा समिति के अध्यक्ष आशीष सूर्यवंशी ने कहा कि शहर में जितनी भी दशमा की अर्ध विसर्जित प्रतिमाएं थीं, उतनी सभी हमने इकट्ठी की थी।  उन सभी को इकट्ठा करने के बाद स्वयंसेवकों के साथ डुमस समुद्र तट पर पहुंचे और उन्हें औपचारिक रूप से विसर्जित कर दिया। दुख की बात यह है कि लोग मात्र माताजी की मूर्ति की स्थापना करते है मगर विधि विधान और पर्यावरण को बनाए रखते हुए विसर्जन के बारे में नही सोचते। जिसके कारण लोगों की धार्मिक आस्था को ठेस पहुचती है। पिछले पांच सालों से संस्कृति रक्षा समिति के सदस्य विसर्जन के दुसरे दिन अर्घविसर्जित प्रतिमाओं का दुबारा सम्मान पूर्वक विसर्जन करके संस्कृति की रक्षा कर रहे है। 
Tags: