
सूरत जिले में राज्य सरकार ने एक भी फायर स्टेशन नहीं बनायाः दर्शन नायक
By Loktej
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राज्य सरकार सूरत सहित पुरे राज्य में फायर सेफ्टी के लिए अभियन चला रही है मगर सूरत जिला पंचायत क्षेत्र अंतर्गत एक भी फायर स्टेशन नही बनाया।
आग जैसी दुर्घटना के समय सूरत शहर के अग्निशमन यंत्रों पर निर्भर रहना पडता है
सूरत। तक्षशिला आर्केड में आग आपदा के बाद राज्य सरकार ने बिना अग्नि सुरक्षा के स्कूलों और ट्यूशन कक्षाओं को लक्षित करते हुए राज्य भर में एक व्यापक अभियान चलाया। जबकि अस्पतालों के खिलाफ अभियान अभी भी जारी है। यह एक कड़वी सच्चाई है कि राज्य सरकार के अधीन सूरत जिला पंचायत में अभी तक फायर स्टेशन नहीं बना पाई है या इसके लिए बजट में भूमि आवंटन का प्रावधान भी नहीं कर पाई है। 2017 में जिला पंचायत के शासकों पर विपक्ष द्वारा जिले में दमकल स्टेशन के लिए मुकदमा चलाया गया था हालांकि, बहुमत के जोर पर भाजपा शासको ने विपक्ष के जनहित वाले प्रस्ताव को खारिज कर दिया। सूरत जिले में समृद्ध मानी जानेवाली जिला पंचायत क्षेत्र में प्रशासन या सरकार द्वारा एक भी फायर स्टेशन नहीं बनाया गया या इसके लिए भूमि आवंटित नहीं की गई है। अब सूरत जिला पंचायत की वर्तमान बोडी में नवनियुक्त शासकों द्वारा जिला पंचायत में दमकल स्टेशन बनाने के लिए कितने संवेदनशिल है उस पर उनका असली चेहरा आने वाले दिनों में सामने आ जाएगा।
उल्लेखनीय है कि सरथाणा के तक्षशिला आर्केड में हुई आग की घटना में 22 मासूम छात्र जिंदा जल गए थे। इस घटना का असर न सिर्फ गुजरात में बल्कि पूरे देश में महसूस किया गया। अभी तक पीड़ित मासूम बच्चों के अभिभावक आरोप लगा रहे हैं। जिले के अधिकांश हिस्सों में उद्योग स्थित हैं। मांडवी, करज, पलसाना, कडोदरा, देलाड, सीवान, ओलपाड, सायन, किम, मासमा सहित क्षेत्रों में औद्योगिक इकाईया कार्यरत है। जब भी इस क्षेक्ष में आग जैसी दुर्घटना बनती है तो सूरत के दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में अग्निशमन कार्यों के लिए सूरत शहर के अग्निशामक यंत्रों पर निर्भर रहना पड़ता है। शहर से ग्रामीण क्षेत्र में अग्निशमन यंत्रों को पहुचने में अधिक समय लगने पर आग की भयानकता बढ़ने के साथ अधिक नुकसान और हानी होती है।
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