सूरतः आशा कार्यकर्ताओं ने फिक्स वेतन की मांग के साथ कलेक्टर को दिया आवेदन

अलग-अलग कार्य सौंपे जाने के बावजूद उचित मुआवजा नहीं मिलने से आक्रोश

सूरत शहर और जिले में बड़ी संख्या में आशा वर्कर बहनें ड्यूटी पर हैं। वे विभिन्न प्रकार की सरकारी योजनाओं में कर्तव्यों का पालन करना होता है। विशेष रूप से आशा वर्कर बच्चों को पोलियो का टीका देना, ममता दिवस की गतिविधियों में या जन सुरक्षा योजनाओं जैसी विभिन्न योजनाओं में काम करती हैं। कई आशा कार्यकर्ता दस साल से अधिक समय से ड्यूटी पर हैं।
कोरोना संक्रमण काल ​​में टीकाकरण में भी  काम किया है। लेकिन उन्हें 30 से 33 रुपये ही प्रतिदिन का भुगतान किया जा रहा है। जब भी हमें किसी चिकित्सा अधिकारी या नर्स द्वारा कार्य के लिए बुलाया जाता है तो हमने सभी कार्यवाही में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। शहरी क्षेत्र से लेकर दूरदराज के गांवों तक आशा कार्यकर्ता बहनें ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभा रही हैं। लेकिन हमें  मिलने वाला वेतन नहीं मिल रहा है, वे अपने परिवार का भरण-पोषण भी नहीं कर पा रही  हैं। सरकार को संवेदनशीलता दिखाते हुए वेतन बढ़ाने का त्वरित फैसला लेना चाहिए।
आशा वर्कर  हंसाबेन ने कहा कि सभी मामलों में ड्यूटी पर तैनात आशा कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय हो रहा है। वर्षों से हम राज्य सरकार और केंद्र सरकार से एक निश्चित वेतन की मांग कर रहे हैं, लेकिन यह पूरा नहीं हुआ। हमने भी कोरोना संक्रमण काल ​​में जान जोखिम में डालकर सेवा की है। 10 से 15 हजार रुपये मासिक वेतन और सरकार से हमारा बीमा कराने की मांग की जा रही है। हजारों आशा कार्यकर्ताओं को अब तक न्याय नहीं मिला है। हमने आज जिला कलेक्टर को एक आवेदन पत्र देकर अपनी भावना व्यक्त की है।
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