सूरत : दो लाख खर्च करने पर भी न बच सका भद्राक का वतनी ये श्रमिक, कोरोना ने दी है गहरी चोट

सूरत : दो लाख खर्च करने पर भी न बच सका भद्राक का वतनी ये श्रमिक, कोरोना ने दी है गहरी चोट

गाँव की जमीन बेच कर जुटाये पैसे पर नहीं बचा सके जान, गाँव वालों ने परिवार के लिए की प्रशासनिक मदद की मांग

देशभर में कोरोना का कहर एक बार फिर चरम पर है। शहर में प्रतिदिन संक्रमित लोगों की संख्या और मरने वालों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। इस समय में कामकाज ठप्प होते जा रहा है। बीते एक साल से चल रहे इस महामारी से सबसे ज्यादा आघात मध्यमवर्गीय परिवारों और गरीब मजदूरों को पहुंचा है। किसी तरह अपना पेट पालने वाले मजदुर किसी तरह गुजारा कर रहे है। लोग महामारी में भी कोरोना संक्रमित क्षेत्रों में काम करने  काम करने को मजबूर है क्योंकि काम नहीं होगा तो घर कैसा चलेगा! ऐसे में अगर कोई गरीब संक्रमित हो जाता है तो मानो परिवार पर पहाड़ टूट गया! ऐसे में शनिवार को भद्रक जिले के एक प्रवासी मजदूर की सूरत में कोरोना से मृत्यु हो गई। भद्रक जिले के तिहाड़ी ब्लॉक के रहनेवाले स्यमहादेव साही के अर्जुन बिंदानी (34) प्रवासी मजदूर के रूप में काम करने के लिए सूरत आये और यहाँ कोरोना से संक्रमित हो गए। कोरोना संक्रमित अर्जुन को सूरत के जीवी भवानी मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया। 
इस इलाज में अर्जुन को अपनी सारी बचत खर्च कर देनी पड़ी। इतना ही नहीं अर्जुन के गांव में उनकी पत्नी सुनीता को पति के इलाज और अस्पताल के खर्च को पूरा करने के लिए अपनी घर की जमीन बेचनी पड़ी। सुनीता ने अपनी जमीन 2 लाख रुपये की बेचीं और सारे पैसे पति के इलाज में लगा दिया। लेकिन इतना करने के बाद भी अर्जुन को बचाया नहीं जा सका और सूरत में शनिवार को बीमारी के चलते दम तोड़ दिया।
आपको बता दें कि अर्जुन एक एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखता था। उसके परिवार में बुजुर्ग मां, उसकी पत्नी, दो बच्चें (एक बेटा-एक बेटी) और दो छोटे भाई है जो उस पर ही आश्रित थे। अर्जुन की मौत पर ग्रामीणों ने प्रशासन से शोक संतप्त परिवार को कुछ आर्थिक सहायता प्रदान करने का आग्रह किया। अर्जुन के चले जाने के बाद अनाथ हुए परिवार के सदस्य किसी भी सरकारी सहायता की उन तक पहुंचने के लिए प्रतीक्षा कर रहे हैं।

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