सूरत के प्रवासियों में कोरोना से भय का माहौल, कुछ वतन जाने का मन बना रहे

सूरत के प्रवासियों में कोरोना से भय का माहौल, कुछ वतन जाने का मन बना रहे

लोकडाउन के भय के कारण पर-प्रांतीय मजदूरों ने वतन की और किया रुख

आज के एक साल पहले जब कोरोना के कारण लोकडाउन लगा था, तब सभी ने परप्रांतीय लोगों के अपने वतन जाने की कश्मकश में देखा था। कुछ ऐसा ही एक साल बाद फिर से पुनरावर्तित होते दिख रहा है। हालांकि इस बार लोग पहले से ही अपने वतन की और रवाना होने के लिए चल पड़े है। गुजरात में बढ़ते कोरोना के कारण नाईट कर्फ़्यू के बढ़े समय के चलते कई दिनों से गुजरात में फिर से लोकडाउन लगाने की आशंकाओं ने लोगों के मन में जन्म ले लिया है। हालांकि इस बार लोकडाउन हो उसके पहले ही अपने अपने गाँव और वतन पहुँचने का मन बना चुके है। 
शहर में बढ़ रहे केसों के कारण निजी अस्पतालों में भी बेड फूल हो गए है। सिविल अस्पताल में भी वेंटिलेटर की सुविधा के कई लोगों ने प्रश्नार्थ लगाया है। सूरत के अलावा अहमदाबाद की स्थिति भी काफी खराब है। हालांकि अभी तक तो सरकार ने लोकडाउन नहीं करने का आश्वासन दिया है, पर अब लोगों को सरकार के निवेदनों में विश्वास कम ही दिखाई दे रहा है। 
सूरत के कतारगाम, वराछा, योगीचोक, सरथाना जैसे कई इलाकों में सौराष्ट्र और उत्तर गुजरात के लाखों लोग रहते है। इन लोगों में अब लंबे समय के लोकडाउन की आशंकाओं ने घर कर लिया है। हाईकोर्ट द्वारा भी सरकार को किए गए सुचन भी लोकडाउन की और ही ले जा रहे है। सिविल अस्पताल में क्रिटिकल केसों की संख्या काफी बढ़ चुकी है। डायमंड से जुड़े रत्न कलाकारों को भी लग रहा है की मार्केट अब बंद हो जाएंगे। जिसके कारण आने वाले समय में उन्हें आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में सभी परप्रांतीय लोगों ने परेशानियाँ बढ़े उसके पहले ही अपने-अपने वतन की तरफ जाना शुरू कर दिया है। 

Related Posts