गुजरात : पत्नी की याद में बनाया मंदिर, रोज होती है पूजा अर्चना

गुजरात : पत्नी की याद में बनाया मंदिर, रोज होती है पूजा अर्चना

बीमारी के कारण 51 साल की उम्र में दुनिया छोड़कर जाने वाली पत्नी के लिए पति ने कुछ अलग करने का सोचा

हर इंसान आने जीवन में प्रेम की आस करता है पर हर किसी को अपना प्यार मिल जाये और उसके साथ रहे ये जरूरी नहीं है। कभी कभी जीवन में प्यार मिल  जाने के बाद शादी के पवित्र बंधन में बंधने के बद भी प्रेमी जोड़ा साथ में नहीं रह पाते और उनका प्यार अधूरा रह जाता है। आज वैलेंटाइन्स डे के इस खास दिन पर हम आपको बताने जा रहे एक अनोखी प्रेम कहानी। ऐसी कहानी जिसे जानकार हर कोई हैरान और खुश है। जिस तरह अपनी मृत पत्नी मुमताज की याद में शाहजहाँ ने ताजमहल बनवाया वैसे ही गुजरात के सुरेंद्रनगर-वाधवान तालुका के खदेली गांव के पास एक पति ने अपनी मृत पत्नी की याद में एक वृद्धाश्रम और मूर्ति के साथ एक प्रेम मंदिर बनावाया है। इतनी ही नहीं उस मंदिर में प्रतिदिन पूजा-अर्चना भी की जाती है।
आपको बता दें कि प्रतिदिन अपनी पत्नी की मूर्ति की पूजा कर लालारामभाई वैलेंटाइन डे के उत्सव को सही मायने में सार्थक बना रहे हैं। वर्तमान में वृद्धाश्रम में बहुत से वृद्धों को आवास और भोजन सहित सुविधाएं मिलती हैं। 65 साल के होने के बावजूद लालरामभाई इसके लिए खूब मेहनत कर रहे हैं। शादी के बाद 51 साल की ललिताबेन बीमार पड़ गईं और आखिरकार उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। बस इसी क्षण लालाराम ने फैसला किया कि वह भी अपनी पत्नी के लिए कुछ अलग करेंगे।अपनी पत्नी की स्मृति के लिए लालारामभाई ने दूधरेज और नागरगम के बीच 4 एकड़ जमीन खरीदी। जिस पर 15 साल पहले उन्होंने 2 करोड़ रुपये की लागत से वृद्धाश्रम बनाया और अपनी पत्नी की याद में एक मंदिर बनवाया।
गांव में दातुन बेचकर परिवार का गुजरात चलाने वाले लालाराम भोजविया अपनी पत्नी ललिताबाहेन के साथ कमाई के लिए दिल्ली पहुंचे। जहां उनकी किस्मत मजबूत थी और उन्होंने प्राचीन वस्तुओं के व्यापार में खूब कमाई की। जिसमें उन्होंने 2 करोड़ रुपये की लागत से एक वृद्धाश्रम भी बनाया। उद्घाटन के मौके पर मोरारी बापू भी मौजूद थे। ललिताबाहेन की मृत्यु के बाद, लालाराम ने अपनी पत्नी की याद में सुरेंद्रनगर में दुधरेज-खोडू रोड पर एक वृद्धाश्रम बनवाया और मंदिर में ललिताबाहेन की एक मूर्ति स्थापित की।
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