सड़क दुर्घटना में हुई थी पति की मौत, 12 साल के बाद मिला न्याय; कोर्ट ने बीमा कंपनी को दिया 32 लाख का मुआवजा देने का आदेश
By Loktej
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पाउंभाजी की लारी चलाकर करते थे अपने परिवार का जीवन यापन, आठ परिवारों के गुजारे के लिए निचली अदालत ने 3000 की मासिक आय से तय की थी मुआवजे की रकम तो परिवार ने लिया हाईकोर्ट का सहारा
गुजरात हाई कोर्ट ने 2009 में बाइक सवार हादसे में मृतक को मुआवजे के मामले में अहम फैसला सुनाया है. गुजरात उच्च न्यायालय ने राजकोट के उपलेटा के मोती पनेली गांव निवासी मृतक नटवर लाल कचेला के परिवार को 32 लाख रुपये का भुगतान करने का बीमा कंपनी को आदेश दिया है।
विस्तृत जानकारी अनुसार, उपलेटा तालुका के मोटी पनेली गांव में एक बाइक दुर्घटना में चालक की मौत हो गई थी। मृतक पाउंभाजी की लॉरी चलता था और परिवार में आय का एकमात्र स्रोत था। धोराजी कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील रमेश नवडिया ने कहा कि मृतक की मौत के बाद परिजनों ने बीमा कंपनी के खिलाफ धोराजी कोर्ट में मुआवजे की अपील की थी। इस संबंध में निचली अदालत ने मृतक की मासिक आय 3,000 रुपये का अनुमान कर 7.19 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया था, जिसमें चालक की लापरवाही के लिए 10% की कटौती कर बीमा कंपनी को परिवार को 6.47 लाख का भुगतान करने का आदेश दिया।
इसके बाद मृतक के परिवार के सदस्यों को गुजरात उच्च न्यायालय का सहारा लेना पड़ा और धोराजी अदालत के फैसले के खिलाफ अपील की। जिसमें परिवार के सदस्यों ने मासिक आय की गणना पर आपत्ति जताते हुए न्यायालय के समक्ष अन्य प्राप्य लाभों की राशि बढ़ाने का तर्क दिया। मृतक के बैंक वित्तीय लेनदेन का विवरण, उसके बच्चों को स्कूल की फीस, साथ ही आवर्ती खाते का विवरण अदालत में प्रस्तुत किया गया था। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि 3,000 रुपये की मासिक आय परिवार के आठ सदस्यों का खर्च उठाने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ता विशाल मेहता और जनिल शाह के वकील ने कहा कि गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और मोनाबेन भट्ट की पीठ ने कहा कि मृतक की आय 18,000 रुपये से कम नहीं हो सकती है। इसके चलते अदालत ने याचिकाकर्ता की आय 18,000 रुपये तय कर कुल 32 लाख 29 हजार की दंड की रकम का भुगतान करने का आदेश दिया। इतना ही नहीं, साथ ही अदालत ने बीमा कंपनी पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
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