बेटी से मिलने की चाहत ने मां को कोरोना से लड़ने में हिम्मत दी!

बेटी से मिलने की चाहत ने मां को कोरोना से लड़ने में हिम्मत दी!

गुजरात के वलसाड की कहानी, बेटी ने कहा था, ‘मां, आप जल्दी ठीक होकर आओ तो मैं ठीक हो जाऊंगी!’

कहते हैं कि मां की ममता का कोई मोल नहीं होता है। इसको सार्थक करती हुई एक घटना वलसाड में बनी है। वलसाड के ट्यूशन क्लास में पढ़ाने वाली 38 साल की टीचर को 24 अप्रेल के रोज कोरोना पॉजिटिव आया। इसके बाद उनकी 9 साल की बेटी का भी कोरोना संक्रमण का रिपोर्ट करवाया गया। वह भी पॉजिटिव आया। इसके बाद स्वप्ना बहन की तकलीफ लगातार बढ़ते गई। उन्हें हॉस्पिटल में दाखिल करने के लिए परिवार जनों ने हॉस्पिटल ढूंढना शुरू कर दिया लेकिन किसी हॉस्पिटल में बैड नहीं मिला जिससे कि उन्हें वलसाड से सूरत ले आया गया।
दूसरी ओर 9 साल की बेटी होम आइसोलेशन में रहकर उपचार ले रही थी जिससे कि कुछ दिनों बाद सपना भी ठीक हो गई। उन्होंने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उन्हें 25 तारीख से सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। वह अब ठीक हैं। डॉक्टर की ओर से नियमित उपचार मिलने के कारण वह जल्दी रिकवर हो गई। बेटी की ओर से यह कहा जा रहा था कि मां तुम आओगी तो मैं जल्दी ठीक हो जाऊंगी। इस शब्द ने हीं मेरे अंदर जोश डाल दिया था। 4 तारीख को सपना बहन कोरोना को हराकर घर पहुंची है। 10 दिन बाद बेटी से मिलने की खुशी में व्यक्त नहीं कर पा रही है। सिविल हॉस्पिटल के डॉक्टर अमित गामित और जिनल और मिस्त्री को उन्होंने अपने ठीक होने का श्रेय दिया।