नवजात शिशु की जान बचाने डॉक्टर ने किया कुछ ऐसा की हर जगह हो रही है तारीफ

नवजात शिशु की जान बचाने डॉक्टर ने किया कुछ ऐसा की हर जगह हो रही है तारीफ

डिलिवरी के वक्त फंस गया था बालक, अस्पताल ले जा रही एम्ब्युलेंस रास्ते में फंसी

डोकटरों को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है। इस वाक्य को चरितार्थ करता हुआ एक किस्सा गुजरात के धरमपुर से सामने आया है। जहां एक नवजात शिशु को बचाने के लिए आशावर्कर-108 अम्ब्युलेंस की महिला टीम और धरमपुर के राजचंद्र आश्रम की अस्पताल के डोकरों ने एक बार फिर मानवता को महकाया है। 
डिलिवरी के दौरान फंस गया था बालक
सुबीर-आहवा के आदिवासी इलाके में रहने वाली 19 वर्षीय अमीना पावर को डिलिवरी के लिए दोपहर को दो बजे के आसपास सरकारी अस्पताल में दाखिल करना पड़ा था। शाम को छ बजे डिलिवरी के दौरान बाहर निकलते वख्त बालक फंस गया था। इसके अलावा डिलिवरी के बाद बालक तुरंत रोया भी नहीं था। बालक के सर तक ऑक्सीज़न का योग्य प्रमाण नहीं पहुँच पाने के कारण उसे तात्कालिक वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत पड़ी थी। 
गड्ढे में उतरकर डॉक्टर ने किया बालक का उपचार
आहवा में अधिक सुविधा ना होने के कारण आशावर्कर राजुभाई गुनगुने ने एक भी मिनट बर्बाद किए बिना 108 एम्ब्युलेंस को बुलाकर बालक और नवजात को धरमपुर की राजचंद्र अस्पताल तक लाये। पर रास्ते में नए बन रहे रोड के कारण एम्ब्युलेस्न अस्पताल तक पहुँच सके ऐसी स्थिति नहीं थी। घटना की गंभीरता को समज कर तुरंत ही डॉ. कौशल पटेल को जानकारी दी गई। जिन्हों ने पलभर का भी विचार किए बिना ऑक्सीज़न की पाइप और अन्य जरूरी समान लेकर गड्ढे में जाकर बालक को 108 के अंदर ही ऑक्सीज़न दिया था। 
इसके बाद अपने हाथ में ही शिशु को रख उन्होंने शिशु को आईसीयू तक पहुंचाया। इसके बाद उन्होंने शिशु को अन्य उपचार दिये। आने वाले 24 घंटे शिशु के लिए काफी ज्यादा नाजुक है। पर डॉक्टर द्वारा शिशु को बचाने के लिए किए गए प्रयत्नों की हर जगह तारीफ हो रही है। 
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