सूरत : जनजाति कल्याण आश्रम गुजरात, सूरत महानगर का वार्षिकोत्सव भव्य रूप से संपन्न

वनवासी समाज के कल्याण, शिक्षा और संस्कृति के संरक्षण का दिया गया सशक्त संदेश

सूरत : जनजाति कल्याण आश्रम गुजरात, सूरत महानगर का वार्षिकोत्सव भव्य रूप से संपन्न

जनजाति कल्याण आश्रम गुजरात, सूरत महानगर का वार्षिकोत्सव रविवार, 28 दिसंबर 2025 को सायं 5 बजे वेसू स्थित शांतम हॉल (रीगा स्ट्रीट बिल्डिंग, जीवराज 9 सर्कल, केनाल रोड) में गरिमामय वातावरण में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में सूरत महानगर के कार्यकर्ताओं, गणमान्य अतिथियों तथा वनवासी समाज के परिवारों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।

यह आयोजन गुजरात प्रांत उपाध्यक्ष राधेश्याम कारीवाल एवं गुजरात प्रांत मंत्री योगेशभाई गामित के मार्गदर्शन में सूरत महानगर के समस्त कार्यकर्ताओं के सहयोग से संपन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि धनजीभाई झड़फिया (झड़फिया स्कूल संचालक), विशेष अतिथि मोहनभाई सुथार (चेयरमैन, केडीएम कंपनी, मुंबई) तथा मुख्य वक्ता विजय कुमार (अखिल भारतीय सह-व्यवस्था प्रमुख) की सादर उपस्थिति ने आयोजन की गरिमा बढ़ाई।

वार्षिकोत्सव के दौरान कार्यकर्ताओं के बच्चों द्वारा गीत, नृत्य, योग, शस्त्र कला एवं ग्रामीण क्षेत्रों से आए बच्चों द्वारा जनजातीय सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं। जनजाति कल्याण आश्रम (गुजरात) सूरत महानगर द्वारा संचालित मगरकुई एवं बंधारपाड़ा स्थित स्कूल व छात्रावास के बच्चों की जनजातीय सांस्कृतिक नृत्य प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया।
आयोजन के दौरान गीता बाल संस्कार केंद्र संगठन को वनवासी कल्याण हेतु रु.1,00,000 का अनुदान धनराज अडवाणी को समर्पित किया गया। कार्यक्रम की जानकारी अशोक गोयल ने एक विज्ञप्ति के माध्यम से दी।

अपने संबोधन में सभी वक्ताओं ने वनवासी कल्याण आश्रम से संबद्ध जनजाति कल्याण आश्रम गुजरात की कार्यशैली, कार्यक्रमों एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कार्यकर्ताओं का उत्साहवर्धन किया। वक्ताओं ने कहा कि संगठन का मूल उद्देश्य शिक्षा के माध्यम से राष्ट्रीय एकात्मता को सुदृढ़ करना है। शिक्षा और सामाजिक एकीकरण के जरिए मुख्यधारा के समाज और आदिवासी भाइयों के बीच की दूरी को समाप्त कर उनका सर्वांगीण विकास ही संगठन का लक्ष्य है।

कार्यक्रम में आदिवासियों को औपचारिक व सामाजिक शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, पारंपरिक खेलों में प्रोत्साहन, आजीविका कौशल विकास, संवैधानिक अधिकारों एवं सरकारी योजनाओं के प्रति जागरूकता, महिला सशक्तिकरण तथा उनकी आस्था, संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण जैसे विषयों पर भी विस्तार से विचार रखे गए। साथ ही आदिवासी कल्याण एवं सशक्तिकरण से जुड़े अनुसंधान, नीति नियोजन और विकास कार्यों को आगे बढ़ाने का संकल्प दोहराया गया।

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