सूरत : व्यापारिक विवादों के निपटारे के लिए 'मीडिएशन' संजीवनी; चैंबर ऑफ कॉमर्स ने आयोजित किया जागरूकता सत्र
अदालतों के चक्कर और मानसिक तनाव से बचाएगा मीडिएशन एक्ट: पूर्व जज डॉ. दीप्ति मुकेश; 1987 के एक्ट और ADR सिस्टम के फायदों पर हुई चर्चा
सूरत। सदर्न गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (SGCCI) द्वारा नानपुरा स्थित समृद्धि भवन में मीडिएशन एक्ट और इंडस्ट्री तथा बिज़नेस के बीच होने वाले विवादों के समाधान में इसकी अहमियत पर एक विशेष अवेयरनेस सेशन का आयोजन किया गया।
इस सत्र में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की माननीय सेवानिवृत्त न्यायाधीश डॉ. दीप्ति मुकेश ने उद्यमियों और प्रोफेशनल्स को मीडिएशन एक्ट की उपयोगिता, प्रक्रिया और लाभों की विस्तार से जानकारी दी।
डॉ. दीप्ति मुकेश ने अपने संबोधन में कहा कि मौजूदा न्यायिक व्यवस्था में मामलों के निपटारे में अत्यधिक समय लगता है, जिससे न्याय में देरी होती है। बढ़ती कानूनी जागरूकता के साथ विवादों और मुकदमों की संख्या में तेज़ी से इज़ाफा हुआ है, जबकि अदालतों और न्यायिक ढांचे का विस्तार उसी अनुपात में नहीं हो सका। ऐसे में मीडिएशन जैसे वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) तंत्र समय, धन और मानसिक तनाव से राहत दिलाने का प्रभावी माध्यम बन सकते हैं।
उन्होंने बताया कि वर्ष 1987 में लागू ‘लीगल सर्विसेज़ अथॉरिटी एक्ट’ के माध्यम से ADR को औपचारिक मान्यता मिली और तभी से इसे न्यायिक व्यवस्था पर बोझ कम करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। मीडिएशन के ज़रिए कोर्ट के बाहर आपसी सहमति से विवाद सुलझाए जा सकते हैं, जिससे व्यावसायिक संबंध भी सुरक्षित रहते हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत चैंबर के ऑनरेरी ट्रेज़रर सीए मितेश मोदी के स्वागत भाषण से हुई। लॉ एंड कंप्लायंस कमिटी के चेयरमैन एडवोकेट अजय मेहता ने सेशन का संचालन किया।
चैंबर के ग्रुप चेयरमैन डॉ. अनिल सरावगी ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की, जबकि मैनेजिंग कमिटी सदस्य अरविंद बाबावाला ने वक्ताओं का परिचय कराया।
इस अवेयरनेस सेशन में बड़ी संख्या में उद्यमी, प्रोफेशनल्स और उद्योग प्रतिनिधि उपस्थित रहे और मीडिएशन एक्ट को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की।
