सूरत : भगवान ने सुदामा के चरण आँसुओं से धोए : संदीप महाराज

श्रीमद्भागवत कथा के सातवें व अंतिम दिन सुदामा चरित्र और भगवान के 16,108 विवाहों का हुआ भावपूर्ण वर्णन

सूरत : भगवान ने सुदामा के चरण आँसुओं से धोए : संदीप महाराज

शहर के डिंडोली क्षेत्र के देलाडवा गांव में साउथ इंडियन स्कूल के सामने श्री राधे मित्र मंडल द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का शनिवार, 20 दिसंबर को सातवें एवं अंतिम दिन विधिवत समापन हुआ। कथा वाचन के दौरान प्रसिद्ध कथावाचक संदीप महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के 16,108 विवाहों, सुदामा चरित्र, दत्तात्रेय के 24 गुरुओं तथा नवयोगेश्वर संवाद का भावपूर्ण वर्णन किया।

संदीप महाराज ने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि सुदामा बारह गुणों से सम्पन्न एक आदर्श ब्राह्मण थे और भगवान श्रीकृष्ण के बाल सखा थे। बचपन में चार चने चोरी कर अधिक खाने के कारण उन्हें जीवन में घोर गरीबी का सामना करना पड़ा, लेकिन गरीबी में रहते हुए भी सुदामा ने कभी भगवान से कुछ मांगने का विचार नहीं किया।

जब सुदामा की पत्नी सुशीला को यह ज्ञात हुआ कि उनके पति भगवान श्रीकृष्ण के मित्र हैं, तो उन्होंने सुदामा को द्वारिका जाकर भगवान से मिलने के लिए प्रेरित किया। मित्र के घर खाली हाथ न जाने की भावना से सुशीला ने घर में उपलब्ध थोड़े से चावलों की एक पोटली सुदामा को साथ दी। 

D20122025-07

कथावाचन में बताया गया कि जब सुदामा द्वारिका पहुंचे, तो भगवान श्रीकृष्ण ने अपने प्रिय मित्र को देखकर प्रेमवश उनके चरण अपने आँसुओं से धोए। सुदामा के फटे वस्त्र उनकी निर्धनता का परिचय दे रहे थे। भगवान ने सुदामा की पोटली से एक मुट्ठी चावल खाए, जिससे उन्हें दो लोकों का वैभव प्राप्त हो गया। जब भगवान दूसरी मुट्ठी चावल खाने लगे, तो माता रुक्मिणी ने उन्हें यह कहते हुए रोका कि एक मुट्ठी में ही सब कुछ दे दिया, अब अपने लिए भी कुछ बचा लें।

महाराज ने दत्तात्रेय के 24 गुरुओं के प्रसंग और नवयोगेश्वर संवाद का भी विस्तार से वर्णन किया। कथा के अंत में सुखदेव जी और राजा परीक्षित के संवाद का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि शरीर नश्वर है, लेकिन आत्मा अमर है। जैसे नदियों में गंगा श्रेष्ठ है, क्षेत्रों में काशी श्रेष्ठ है, वैसे ही समस्त पुराणों में श्रीमद्भागवत महापुराण सर्वोत्तम है। कथा के समापन पर उपस्थित श्रद्धालु भक्ति भाव से सराबोर नजर आए और आयोजकों द्वारा कथावाचक का सम्मान किया गया।

Tags: Surat