सूरत : “नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की” पर भावविभोर हुए श्रद्धालु
श्री कृष्ण जन्म के साथ ही चमत्कार हुआ, पहरेदार सो गए, कारागार के ताले स्वयं खुल गए : संदीपजी महाराज
श्री राधे मित्र मंडल देलाडवा गांव, डिंडोली सूरत द्वारा साउथ इंडियन स्कूल के सामने देलाडवा गाम में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन बुधवार 17 दिसंबर को कथा वाचक संदीप महाराज ने भगवान के विभिन्न अवतारों और श्रीकृष्ण जन्म प्रसंग का भावपूर्ण वर्णन किया। कथा के दौरान श्रद्धालु भक्ति रस में डूबे नजर आए।
संदीप महाराज ने वामन अवतार की कथा सुनाते हुए बताया कि भगवान वामन रूप धारण कर राजा बलि के यहां पहुंचे और उनसे तीन चरण भूमि की मांग की। राजा बलि द्वारा संकल्प लेने के बाद भगवान ने एक चरण में पाताल लोक, दूसरे चरण में स्वर्ग लोक नाप लिया। तीसरे चरण के लिए स्थान न होने पर राजा बलि ने अपना सिर अर्पित कर दिया, जिस पर भगवान ने अपना चरण रखा।
कथा को आगे बढ़ाते हुए महाराज ने श्रीकृष्ण जन्म का प्रसंग सुनाया। उन्होंने बताया कि कंस द्वारा देवकी के सात पुत्रों की हत्या के बाद कारागार में आठवीं संतान के रूप में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। जन्म के साथ ही चमत्कार हुआ, पहरेदार सो गए, कारागार के ताले स्वयं खुल गए और वासुदेव जी भगवान को लेकर मथुरा से वृंदावन की ओर निकल पड़े। यमुना पार करते समय यमुना ने विकराल रूप धारण किया, लेकिन भगवान के चरण स्पर्श के बाद यमुना ने वासुदेव जी को मार्ग दे दिया।
वासुदेव जी नंदलाल के घर पहुंचे, जहां यशोदा मैया के यहां कन्या जन्मी थी। वासुदेव जी ने भगवान श्रीकृष्ण को वहां सुलाकर कन्या को लेकर पुनः मथुरा कारागार लौट आए। इसके बाद सभी ताले फिर से बंद हो गए। जब कंस ने कन्या को मारने का प्रयास किया तो वह कन्या आकाश में विलीन होकर भविष्यवाणी कर गई कि उसका वध करने वाला जन्म ले चुका है।
उधर वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म पर जोरदार उत्सव मनाया गया। पूरा वृंदावन नाच-गान और आनंद में डूब गया और “नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की” के जयघोष गूंज उठे।
कथा आयोजन में श्रीमद्भागवत कथा के कार्यकर्ता व सदस्य अंजनी पांडे, जयराम यादव, संतोष तिवारी, मनोज तिवारी, नागजी भाई, किशोर भाई, शेषलाल पांडे, के. पी. मिश्रा, शिवकुमार उपाध्याय, बबलू शुक्ला, राजेश विश्वकर्मा, सुरेश विश्वकर्मा, अभिषेक सिंह सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।
