सूरत : जल संरक्षण में सूरत देश में अव्वल, 'कैच द रेन' योजना के लिए ₹2 करोड़ का पुरस्कार

जनभागीदारी मॉडल से मिली बड़ी सफलता; निजी सोसायटियों को जोड़ने की अनूठी पहल से गुजरात में पहला और देश में छठा स्थान

सूरत : जल संरक्षण में सूरत देश में अव्वल, 'कैच द रेन' योजना के लिए ₹2 करोड़ का पुरस्कार

सूरत। जल संरक्षण के क्षेत्र में अपनी अभिनव पहल के लिए सूरत ने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी 'कैच द रेन' जल संचयन योजना सूरत में तेजी से आगे बढ़ रही है, जिसके लिए सूरत नगर निगम (SMC) को केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा ₹2 करोड़ का प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किया गया है।

दिल्ली में सम्मान 18 नवंबर 2025 को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने सूरत नगर निगम को यह पुरस्कार और नकद राशि भेंट की। इस अवसर पर सूरत के महापौर दक्षेश मावानी, स्थायी समिति के अध्यक्ष राजन पटेल, और जल समिति के अध्यक्ष हिमांशु राउलजी ने दिल्ली जाकर यह सम्मान ग्रहण किया।

सूरत की सफलता का मुख्य कारण स्वर्णिम जयंती मुख्यमंत्री शहर विकास योजना के तहत शुरू किया गया जनभागीदारी-आधारित मॉडल है, जिसमें निजी सोसायटियों को बड़े पैमाने पर जोड़ा गया है। इस मॉडल में योगदान की संरचना इस प्रकार है। 70 प्रतिशत योगदान सरकारी अनुदान से।

20 प्रतिशत योगदान  विधायक या नगरसेवक के अनुदान से।10 प्रतिशत योगदान नगर निगम से।इसके अतिरिक्त, कुछ स्थानों पर नगर निगम सदस्य द्वारा 100 प्रतिशत अनुदान के साथ भी वर्षा जल संचयन कार्य किए जा रहे हैं।

पंजीकरण शुल्क में बड़ी कमी।निजी सोसायटियों को प्रोत्साहित करने के लिए, पंजीकरण शुल्क को ₹5,000 से घटाकर केवल ₹100 कर दिया गया है। इस कदम ने योजना को अत्यधिक लोकप्रिय बना दिया है, जिसके परिणामस्वरूप सूरत पूरे गुजरात में इस कार्य में पहले स्थान पर और पूरे देश में छठे स्थान पर पहुँच गया है।

भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के "कैच द रेन: व्हेयर इट फॉल्स, व्हेन इट फॉल्स" अभियान के तहत सूरत शहर में अब तक 10,969 भूजल पुनर्भरण प्रणालियाँ सफलतापूर्वक स्थापित की जा चुकी हैं। सूरत नगर निगम ने जलग्रहण क्षेत्र और बोरवेल की स्थिति के आधार पर 12 अलग-अलग डिज़ाइन तैयार किए हैं और वर्षा जल संचयन इकाइयों की दरें भी निर्धारित की हैं, जिससे कार्य की गुणवत्ता और मानकीकरण सुनिश्चित हो सके।