सूरत : “सुरक्षा का असली अर्थ” : कर्मभूषण अवॉर्ड्स 2025 में सूरत के रक्षकों को सलाम
एक महिला वह सब कुछ कर सकती है, जो वह ठान ले, उसे रोक पाने की शक्ति किसी के पास नहीं
शहर के पाल स्थित संजीव कुमार ऑडिटोरियम में 16 नवंबर को आयोजित कर्मभूषण अवॉर्ड्स 2025 सिर्फ एक सम्मान समारोह नहीं, बल्कि सूरत की भावनाओं, कृतज्ञता और प्रेरणा का संगम बन गया। अ.नि.स. द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में उन पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को सम्मानित किया गया, जो बिना सुर्खियों, बिना शोर और बिना पहचान की चाह के, शहर को सुरक्षित रखने में अपना जीवन समर्पित करते हैं।
कार्यक्रम का सबसे शक्तिशाली क्षण तब आया जब विशिष्ट मुख्य अतिथि—वेटरन एयर मार्शल पद्मावती बंदोपाध्याय—मंच पर पहुँचीं। उनके प्रभावशाली शब्दों ने पूरे सभागार में नई ऊर्जा भर दी। उन्होंने कहा—“एक महिला वह सब कुछ कर सकती है, जो वह ठान ले। उसे रोक पाने की शक्ति किसी के पास नहीं। साहस और क्षमता लिंग नहीं, बल्कि संकल्प से तय होती है।” उनकी यह प्रेरक बात हर महिला, हर पुलिसकर्मी और हर युवा के लिए नई दिशा बनकर सामने आई।
इसके बाद सूरत शहर के पुलिस कमिश्नर अनुपमसिंह गहलोत (IPS) ने सुरक्षा के अर्थ को व्यापक रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा—“एयर फोर्स और पुलिस—दो अलग वर्दियाँ हैं, पर लक्ष्य एक है। एक सीमाओं की रक्षा करती है और दूसरी शहर की सुरक्षा का दायित्व निभाती है। जब सीमा और समाज—दोनों सुरक्षित होते हैं, तभी राष्ट्र मजबूत होता है।” उनके संदेश ने स्पष्ट किया कि सुरक्षा केवल एक विभाग का नहीं, बल्कि पूरे समाज का साझा दायित्व है।
अ.नि.स. की अध्यक्ष गीता श्रोफ ने इस आयोजन के उद्देश्य को सुंदर शब्दों में व्यक्त किया। उन्होंने कहा—“पुलिसकर्मी वह सब करते हैं जो हम देखते भी नहीं—रातों की शांति, त्योहारों की सुरक्षा, महिलाओं की सहायता, बच्चों की रक्षा… यह सिर्फ कर्तव्य नहीं, यह समर्पण है। हमारी कोशिश है कि मौन में सेवा करने वालों को शहर की आवाज़ और सम्मान मिले।”
कर्मभूषण अवॉर्ड्स 2025 ने यह संदेश पूरे शहर को दिया कि सूरत की प्रगति केवल उद्योगों, व्यापार और विकास परियोजनाओं से नहीं—बल्कि उन अनदेखे रक्षकों से भी होती है, जो हर परिस्थिति में शहर के साथ खड़े रहते हैं। आज का समारोह केवल अवॉर्ड वितरण नहीं था; यह कृतज्ञता का सार्वजनिक संदेश था कि सूरत अपने सुरक्षा प्रहरी को जानता भी है, सम्मान देता भी है और धन्यवाद भी करता है। जब सीमाओं पर वीरता और शहर में सेवा साथ चलती है, तभी भारत वास्तव में सुरक्षित और सशक्त बनता है।
