सूरत : आउटर रिंग रोड परियोजना में तेजी लाने के लिए शासकों ने गांधीनगर में वित्त मंत्री से की मुलाकात

486 करोड़ की लागत वाली परियोजना के पहले चरण के लिए 300–400 करोड़ रुपये के अनुदान की मांग, 2019 से अधूरा है काम

सूरत : आउटर रिंग रोड परियोजना में तेजी लाने के लिए शासकों ने गांधीनगर में वित्त मंत्री से की मुलाकात

सूरत। सूरत शहर की बहुप्रतीक्षित आउटर रिंग रोड परियोजना को गति देने के उद्देश्य से महापौर दक्षेश मवानी, स्थायी समिति के अध्यक्ष राजन पटेल और नगर आयुक्त शालिनी अग्रवाल ने गांधीनगर में राज्य के वित्त मंत्री कनु देसाई से मुलाकात कर परियोजना के लिए तत्काल अनुदान जारी करने की मांग की।

आउटर रिंग रोड परियोजना के पहले चरण में कुल 17.31 किलोमीटर लंबा मार्ग शामिल है, जिसके विकास पर लगभग 486 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। इसमें सड़क निर्माण, वाहन अंडरपास, संरचना निर्माण और फ्लाईओवर ब्रिज जैसे कार्य शामिल हैं। हालांकि ये कार्य पिछले वर्षों में पूरे होने थे, लेकिन अब भी साइट पर निर्माण कार्य अधूरा है।

शासकों ने वित्त मंत्री से इस परियोजना के लिए 300 से 400 करोड़ रुपये की अनुदान राशि तत्काल आवंटित करने का अनुरोध किया, ताकि निविदाएं जारी करके कार्य को शीघ्र पूरा किया जा सके।

आउटर रिंग रोड परियोजना की शुरुआत वर्ष 2019 में हुई थी। उस समय राज्य सरकार ने इसे 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन दो साल बाद भी परियोजना का अधिकांश भाग अधूरा है। नगर आयुक्त शालिनी अग्रवाल ने इसे चरणबद्ध तरीके से पूरा करने की योजना बनाई थी, फिर भी निर्माण की गति धीमी है।

राज्य सरकार ने दक्षिण गुजरात के विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईझेड) के तहत निधि आवंटित की है, जिसमें से सूरत को भी इस परियोजना के लिए वित्तीय सहायता देने पर विचार किया जा रहा है।

आउटर रिंग रोड के पूरा होने से गढ़पुर रोड, सूरत-कामरेज रोड को मोटा वराछा, भरथना और कोसाड जैसे क्षेत्रों से बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। साथ ही, शहर की सड़कों पर यात्रा दूरी करीब 10 किलोमीटर तक कम हो जाएगी, जिससे यातायात दबाव घटेगा और नागरिकों को सीधा लाभ मिलेगा।

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