घूस के पैसे से शेयरों में निवेश कर कमाया मुनाफा भी अपराध से अर्जित आय है : उच्च न्यायालय
नयी दिल्ली, पांच नवंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि घूस के पैसे से शेयर बाजार में निवेश करके कमाए गए मुनाफे को अपराध से अर्जित आय माना जाएगा और यह धन शोधन अपराध है।
अदालत ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति ने रिश्वत की राशि से निवेश किया है, तो उसकी कीमत बढ़ने पर भी उस धन का अवैध स्रोत शुद्ध नहीं हो जाता और यह बढ़ी हुई राशि भी उसी अवैध स्रोत से जुड़ी होती है।
न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने तीन नवंबर को दिए फैसले में कहा, ‘‘धन शोधन एक सतत अपराध है, जो केवल अवैध धन अर्जित करने की प्रारंभिक क्रिया तक सीमित नहीं है बल्कि इसमें उस धन के विभिन्न लेनदेन भी शामिल है।’’
पीठ ने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि कोई सरकारी अधिकारी रिश्वत लेकर उसे शेयर बाजार, रियल एस्टेट या मादक पदार्थ के धंधे में लगाता है, तो धन की अवैधता समाप्त नहीं होती और ऐसी पूरी राशि जब्ती योग्य होती है।
अदालत ने कहा, ‘‘यदि रिश्वत का पैसा शेयर बाजार में निवेश कर दिया जाए और बाद में उसका मूल्य बाजार परिस्थितियों के कारण बढ़ जाए, तो पूरा बढ़ा हुआ धन भी अपराध से अर्जित आय माना जाएगा।’’
यह फैसला प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अपील पर दिया गया, जिसमें उसने फतेहपुर कोल ब्लॉक आवंटन से संबंधित मामले में एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दी थी।
ईडी ने यह कहते हुए लगभग 122.74 करोड़ रुपये की संपत्ति को अस्थायी रूप से जब्त किया था कि कंपनी एम/एस प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने धोखाधड़ी से कोल ब्लॉक आवंटन प्राप्त किया और शेयरों की गलत जानकारी देकर शेयर की कीमतें बढ़ाईं।
