सूरत : सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर ‘एक दीपस्तंभ’ जनजागरण सत्र का आयोजन

विनय पत्राले ने कहा — आइए, गुलामी की मानसिकता और उसके चिन्हों को मिटाएँ; कांजीभाई भलाला बोले — सरदार का आदर्श वाक्य था ‘निडर बनो’

सूरत : सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर ‘एक दीपस्तंभ’ जनजागरण सत्र का आयोजन

सूरत। दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (SGCCI) द्वारा रविवार, 12 अक्टूबर 2025 को प्रातः 11 बजे समृद्धि भवन, नानपुरा में “एक दीपस्तंभ” जनजागरण सत्र का आयोजन किया गया। यह सत्र भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता भारत भारती संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय पत्राले और सौराष्ट्र पटेल सेवा समाज के अध्यक्ष कांजीभाई भलाला थे, जिन्होंने सरदार पटेल के जीवन दर्शन, राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान और उनके विचारों की आज के समय में प्रासंगिकता पर विस्तार से प्रकाश डाला।

स्वागत भाषण में चैंबर के कार्यवाहक अध्यक्ष अशोक जीरावाला ने कहा, “स्वतंत्रता के बाद राष्ट्र निर्माण के कार्य में लौह पुरुष सरदार पटेल की भूमिका अमूल्य रही है। उन्होंने न केवल भारत को एक सूत्र में पिरोया, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था की नींव रखी। उनका जीवन हम सबके लिए प्रेरणास्रोत है।”

अपने प्रेरक संबोधन में विनय पत्राले ने सरदार पटेल की दूरदर्शिता और नेतृत्व क्षमता को याद करते हुए कहा, “सरदार साहब ने जिस भारत की कल्पना की थी, उसमें स्वाभिमान, सद्भाव, सुरक्षा और स्वच्छता का विशेष स्थान था। आज हमें उनकी जयंती पर गुलामी की मानसिकता और उसके चिन्हों को पूरी तरह मिटाने का संकल्प लेना चाहिए।”

उन्होंने यह भी कहा कि “सरदार साहब का देश पर अत्यंत बड़ा ऋण है। उन्हें वह गौरव देर से मिला, जिसके वे अधिकारी थे। 1991 में जाकर उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया, जबकि वे स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बनने के योग्य थे।”

कांजीभाई भलाला ने कहा, “पूरा देश सरदार पटेल की 150वीं जयंती मना रहा है। प्रत्येक जिले में विचार यात्राएँ आयोजित की जा रही हैं ताकि युवा पीढ़ी उनके आदर्शों से जुड़ सके। सरदार साहब ने अपने दृढ़ संकल्प और निर्णायक दृष्टिकोण से भारत को एक किया। जूनागढ़ के विलय में उनकी संसाधनशीलता और निडरता अद्वितीय थी। उनका आदर्श वाक्य ‘निडर बनो’ हम सबके जीवन का मार्गदर्शक होना चाहिए।”

कार्यक्रम का संचालन चेतन शेठ ने किया, जबकि परेश लाठिया और मनीष कपाड़िया ने वक्ताओं का परिचय कराया। सत्र के अंत में चैंबर के पूर्व अध्यक्ष विजय मेवावाला ने उपस्थित श्रोताओं और अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

यह आयोजन केवल एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि सरदार पटेल के विचारों और आदर्शों को जन-जन तक पहुँचाने का एक सशक्त प्रयास साबित हुआ।

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