सूरत : भारत-यूके FTA से रत्न एवं आभूषण क्षेत्र में 'बड़ी छलांग' की तैयारी- जीजेईपीसी
किरीट भंसाली ने CEO फोरम में कहा- UK को निर्यात तीन साल में $2.5 बिलियन होगा, 1.4 लाख नए रोज़गार मिलेंगे
सूरत । भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच हाल ही में हस्ताक्षरित व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौते (सीईटीए) के अवसरों को तलाशने के लिए 8–9 अक्टूबर को मुंबई में आयोजित भारत–यूके सीईओ फोरम में दोनों देशों के शीर्ष व्यापारिक नेताओं ने भाग लिया।
इस उच्चस्तरीय बैठक में रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के अध्यक्ष किरीट भंसाली ने भारत के रत्न एवं आभूषण क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।
दो दिवसीय फोरम का मुख्य फोकस इस बात पर रहा कि सीईटीए समझौते के तहत यूके को 99% भारतीय निर्यात और भारत को यूके निर्यात पर 90% टैरिफ हटाने से द्विपक्षीय व्यापार में किस तरह क्रांतिकारी बदलाव आएगा।
फोरम में किरीट भंसाली ने उदय कोटक, करण राठौर, दिलीप सांघवी, नरेन गोयनका, अनिल अग्रवाल, हरीश आहूजा, भद्रेश डोढिया और श्री नमित जोशी जैसे उद्योग दिग्गजों के साथ “विकास और रोजगार प्राप्त करने के लिए भारत–यूके सीईटीए का लाभ उठाना” विषय पर विचार साझा किए।
इस फोरम की सह-अध्यक्षता भारती एंटरप्राइजेज के संस्थापक व अध्यक्ष सुनील भारती मित्तल और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के समूह मुख्य कार्यकारी अधिकारी बिल विंटर्स ने की।
कार्यक्रम में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के सचिव अमरदीप सिंह भाटिया सहित कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारी उपस्थित थे, जिन्होंने उद्घाटन सत्र में संबोधन दिया।
अपने संबोधन में जीजेईपीसी अध्यक्ष किरीट भंसाली ने कहा—“भारत–यूके मुक्त व्यापार समझौता भारतीय रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, जो हमारे उद्योग के लिए अभूतपूर्व अवसरों के द्वार खोलेगा।
आने वाले तीन वर्षों में यूके को हमारा निर्यात दोगुना होकर 2.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है। यह साझेदारी न केवल व्यापार को गति देगी, बल्कि 1.4 लाख से अधिक नए रोजगार भी सृजित करेगी। इससे हमारे कारीगरों, निर्माताओं और निर्यातकों को सीधा लाभ होगा।
यह समझौता हीरे, सोने, चांदी और प्रयोगशाला में विकसित रत्नों के क्षेत्र में भारत की अग्रणी स्थिति को और मजबूत करेगा तथा यूके के खुदरा बाजारों में सहयोग और पहुँच को भी बढ़ाएगा। जीजेईपीसी इस अवसर का पूर्ण उपयोग कर नवाचार, रोजगार और सतत विकास को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है।”
भारत के रत्न एवं आभूषण उद्योग के लिए यह फोरम अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी बढ़ती भूमिका का परिचायक रहा। टैरिफ में ढील और नए बाजारों तक पहुँच के साथ, ब्रिटेन भारतीय निर्यात वृद्धि, डिज़ाइन सहयोग और तकनीकी नवाचार के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है।
सीईटीए के लागू होने से भारत–ब्रिटेन के व्यापारिक संबंधों को नई दिशा मिलेगी और भारतीय रत्न एवं आभूषण उद्योग को वैश्विक स्तर पर अग्रणी भूमिका प्राप्त होगी।