सूरत : एमईजी पर एंटी-डंपिंग शुल्क लागू न करने की चैंबर की अपील
रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग और वस्त्र मंत्रालय को सौंपा प्रतिवेदन, उद्योग पर नकारात्मक असर की जताई चिंता
सूरत। चैंबर ऑफ कॉमर्स ने भारत सरकार के रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग और वस्त्र मंत्रालय से अपील की है कि एमईजी (मोनो-एथेनॉल ग्लाइकॉल) पर प्रस्तावित एंटी-डंपिंग शुल्क की सिफारिश को वित्त मंत्रालय द्वारा स्वीकार न किया जाए।
गुरुवार, 09 अक्टूबर 2025 को चैंबर के उपाध्यक्ष अशोक जीरावाला और पूर्व अध्यक्ष आशीष गुजराती ने नई दिल्ली में भारत सरकार के रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग की सचिव सुश्री निवेदिता शुक्ला, संयुक्त वस्त्र सचिव सुश्री पद्यमिनी शिंगला और वस्त्र मंत्रालय की ऋचा गुप्ता से मुलाकात कर इस मुद्दे पर विस्तृत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
बैठक में देशभर के एमएमएफ वस्त्र संघों, एसजीसीसीआई, सीआईटीआई, पीटीए उपयोगकर्ता संघों सहित कई प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
चैंबर के प्रतिवेदन में कहा गया है कि भारत सरकार ने जुलाई 2023 से एमईजी पर क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर (QCO) लागू किया है, जिससे भारत में एमईजी की कीमत पहले से ही विश्व बाजार से 1.5 से 2 रुपये प्रति किलोग्राम अधिक है। वर्तमान में भारत में एमईजी की कुल मांग 31 लाख मीट्रिक टन है, जबकि घरेलू उत्पादन 19 लाख मीट्रिक टन ही है।
इस कमी को पूरा करने के लिए 12 लाख मीट्रिक टन एमईजी का आयात किया जाता है।
डीजीटीआर (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज) ने 23 सितंबर 2025 को अपने अंतिम निष्कर्ष में कुवैत, सऊदी अरब और सिंगापुर से आयातित एमईजी पर क्रमशः 103, 113 और 137 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने की सिफारिश की थी।
प्रतिवेदन में कहा गया कि यह शुल्क लागू होने पर भारत में एमईजी की लागत और 1.5 से 2 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़ जाएगी, जिससे यार्न निर्माण, बुनाई और वस्त्र उद्योग पर भारी प्रभाव पड़ेगा।
हाल ही में जीएसटी 2.0 के तहत यार्न पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% किया गया है। लेकिन अगर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लागू की गई, तो यह राहत निष्फल हो जाएगी।
चैंबर ने चेतावनी दी है कि इस निर्णय से न केवल उत्पादन लागत बढ़ेगी बल्कि 20,000 करोड़ रुपये के नए निवेश पर भी ब्रेक लग सकता है।
प्रतिनिधिमंडल ने मांग की है कि रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग तथा वस्त्र मंत्रालय दोनों ही वित्त मंत्रालय को यह सिफारिश भेजें कि एमईजी पर एंटी-डंपिंग शुल्क को मंजूरी न दी जाए ताकि वस्त्र उद्योग को राहत मिल सके और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की स्थिति मजबूत बनी रहे।