वडोदरा : प्राकृतिक खेती से डभोई के किसान अनिलभाई रबारी बने मिसाल
20 बीघा ज़मीन पर कश्मीरी गुलाब और कपास की खेती से गुणवत्ता व मुनाफ़ा, अन्य किसानों के लिए प्रेरणा
वडोदरा ज़िले के डभोई तालुका के छत्राल गाँव के किसान अनिलभाई रबारी ने प्राकृतिक खेती अपनाकर अपनी अलग पहचान बनाई है। वे पिछले पाँच वर्षों से 20 बीघा ज़मीन पर रसायन मुक्त, देशी गाय आधारित प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और अच्छा मुनाफ़ा व उच्च गुणवत्ता की उपज प्राप्त कर रहे हैं।
अनिलभाई की ज़मीन पर इस समय छह बीघा में कपास की लहलहाती फसल और एक बीघा में खिले कश्मीरी गुलाब उनकी प्राकृतिक खेती की शोभा बढ़ा रहे हैं। पाँच बीघा पर पशुओं के लिए चारा उगाया गया है, जबकि खरीफ सीज़न में दो बीघा में गेहूँ और छह बीघा में पोंक लगाने की योजना है। उनके पास कुल 15 गायें हैं, जिनमें चार देशी गाय शामिल हैं, जो उनकी खेती का आधार हैं।
अपना अनुभव साझा करते हुए अनिलभाई कहते हैं कि शून्य बजट प्राकृतिक खेती से लागत घटती है, आय बढ़ती है और बेहतर गुणवत्ता की उपज के कारण बाज़ार में अच्छे दाम मिलते हैं। वे बताते हैं कि वडोदरा शहर के खंडेराव मार्केट में उनके कश्मीरी गुलाब रंग और गुणवत्ता के कारण ऊँचे दाम पर बिकते हैं, वहीं कपास की फसल भी तुरंत खरीदी जाती है।
अनिलभाई मानते हैं कि प्राकृतिक खेती समय की माँग है और स्वस्थ भविष्य की गारंटी भी। वे अन्य किसानों को रसायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों से दूरी बनाकर गौ-आधारित प्राकृतिक खेती अपनाने की सलाह देते हैं। उन्होंने किसानों को प्रेरित करने के लिए गाय का गोबर और गौमूत्र नि:शुल्क उपलब्ध कराने की पहल भी की है।
आत्मा परियोजना से मिले प्रशिक्षण ने अनिलभाई को इस दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। उनका कहना है कि प्राकृतिक खेती न सिर्फ किसानों के लिए, बल्कि सरकार और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी लाभकारी है। किसानों को चाहिए कि वे प्राकृतिक खेती के मॉडल फार्मों का दौरा करें और मृदा एवं स्वास्थ्य संरक्षण के साथ खेती से बेहतर लाभ प्राप्त करें।