सूरत : भगवान की भक्ति से ही समाज में समरसता संभव : राधाकृष्णजी महाराज
नौ दिवसीय श्रीराम गो भक्ति महोत्सव का विराम आज, मंगलवार 30 सितंबर को कथा सुबह 9 से 12 बजे तक रहेगी
गौऋषि परम श्रद्धेय स्वामी श्री दत्तशरणानंदजी महाराज की प्रेरणा से लोक पूण्यार्थ न्यास शाखा, सूरत द्वारा आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम गौ भक्ति महोत्सव कथा का आयोजन सिटी लाइट स्थित महाराज अग्रसेन पैलेस में जारी है। यह महोत्सव स्वर्गीय गोभक्त गजानंदजी कंसल और राधावल्लभजी जालान की स्मृति को समर्पित है। कथा के मुख्य मनोरथी श्रीमती गीता देवी गजानंदजी कंसल (कंसल ग्रुप), जयप्रकाशजी अग्रवाल (रचना ग्रुप) और सुभाषजी अग्रवाल (सुभाष साड़ी) हैं।
रामकथा महोत्सव के आठवें दिन व्यासपीठ से गोवत्स राधाकृष्णजी महाराज ने गुरु वशिष्ठ-भरत संवाद, वन में रामजी को मनाने का प्रसंग, निषादराज-भरत मिलन और राम-भरत मिलन जैसे हृदयस्पर्शी प्रसंगों का वर्णन किया।
महाराजजी ने कहा कि समाज में समरसता की चर्चा तो होती है, किंतु वास्तविक समरसता केवल भगवान की भक्ति से ही संभव है। जब भगवान राम ने निषाद को मित्र बनाया तो वशिष्ठजी और भरतजी ने उसे गले लगाया। यही वह रस है जो सभी भेद मिटा देता है। भरतजी स्वयं को धिक्कारते हैं कि उनके कारण रामजी को वनवास भोगना पड़ा। चित्रकूट पहुँचकर विलंब से राम मिलन होने पर भरत का विरह और बढ़ जाता है। राम-भरत मिलन का यह प्रसंग सुनकर श्रोताओं की आँखें नम हो गईं।
भरतजी ने रामजी की खड़ाऊं लेकर प्रतिज्ञा की कि 14 वर्ष पूर्ण होते ही यदि रामजी लौटकर नहीं आए तो वे जीवित नहीं रहेंगे। महाराजजी ने कहा कि रामजी ने शस्त्र से नहीं, बल्कि अपने स्वभाव से राज स्थापित किया।
प्रवचन में उन्होंने जीवन के गहरे सत्य भी बताए। उन्होंने कहा कि “सत्संग में बिताया समय ही सुखद है।” भूख वस्तुतः अभ्यास है, भोजन मिलने से भूख नहीं, बल्कि व्याकुलता मिटती है। उसी प्रकार यदि भगवान प्रिय और आवश्यक लगें तो स्वाभाविक रूप से भक्ति जागृत होगी। गौ माता प्रिय और आवश्यक लगें तो गौ-भक्ति हो जाएगी। जब विद्यार्थी को पढ़ाई प्रिय लगे और जरुरी लगे तो पढ़ाई के लिए कहना नहीं पड़ेगा।
महाराजजी ने कहा कि पौराणिक कथाएँ तभी सार्थक हैं जब उनका वर्तमान से संबंध जोड़ा जाए। जैसे दहेज की समस्या पर दशरथजी और कठिन परिस्थितियों पर जनकजी का स्मरण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि देवता भगवान की विभूतियाँ हैं, इसलिए समय-समय पर सांस्कृतिक उत्सव और पूजन आवश्यक हैं, लेकिन भक्तों को अपने ईष्टदेव में स्थिर रहना चाहिए।
लोक पूण्यार्थ न्यास शाखा के चेयरमैन राकेश कंसल, गोधाम महातीर्थ मथमेड़ा के सीईओ आलोक सिंहल ने बताया कि नौ दिवसीय श्रीराम गौ भक्ति महोत्सव की अंतिम यानी नौवें दिन मंगलवार 30 सितंबर को कथा प्रातःबेला में सुबह 9 से 12 बजे तक रहेगी और इसी के साथ कथा का विराम होगा। उऩ्होंने कहा कि कथा स्थल पर अखंड गो ज्योति प्रज्वलित रथ और पूंगनुर नस्ल की गौमाता का दर्शन-पूजन बड़ी संख्या में श्रद्धालु कर रहे हैं।
सह मीडिया प्रभारी वरुण बंसल एवं प्रमोद कंसल ने बताया कि सोमवार को संजय सरावगी, संजय जालान, रामचरण अग्रवाल, लालसिंह राजपुरोहित, भंवरलाल ढाका, ताराचंद ढाका, मूल सिंह राजपुरोहित, संजय मोडा, प्रकाश राजपुरोहित, भागीरथ पारीक, दामोदर गौड़, बनवारी मुंदड़ा, मनीषा टिबरेवाल, रुक्मणी मूंदड़ा, रेणु सोनी सहित अनेक महानुभावों ने ज्ञानगंगा में गोता लगाया।
भामाशाहों एवं संस्थाओं का सहयोग सराहनीय
नौ दिवसीय गो भक्ति महोत्सव में अग्रवाल विकास ट्रस्ट के सभी पदाधिकारी, ट्रस्टीगण एवं समाज के अग्रणी भामाशाहों का सहयोग सराहनी रहा है। साथ ही मारवाड़ गौड़ ब्राह्मण संस्थान, श्री मधुसूदन मित्र मंडल, श्री संकट मोचन सुंदरकांड मंडल, हेल्पिंग हैंड,श्री राजेश्वर महादेव भजन मित्र मंडल, श्री सालासर हनुमान सेवा समिति, श्री रामदेव बाबा प्रेम मंडल,श्री बांके बिहारी सेवा समिति, सिटी लाइट प्रभात फेरी मंडल,श्री श्री मारुति नंदन सुंदरकांड मंडल आदि सहयोग रहा।