राजकोट : गुजरात सरकार की "क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी नीति" राजकोट के उद्योगपतियों के लिए "सुनहरा अवसर"
विशेषज्ञों ने जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अवसरों पर किया मार्गदर्शन, सांसद और विधायकों ने उद्योगपतियों से की अपील
गुजरात राज्य जैव प्रौद्योगिकी मिशन (GSBTM) द्वारा शनिवार को राजकोट में क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी नीति सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में उद्योग जगत के प्रतिनिधियों, शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने भाग लिया। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में मौजूद अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा करना था।
सांसद रामभाई मोकरिया ने उद्घाटन भाषण में कहा कि राजकोट में बने इंजीनियरिंग सामान आज दुनिया भर में पहुंच रहे हैं। उन्होंने उद्योगपतियों से जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भी आगे आकर न केवल रोजगार सृजन करने बल्कि देश की जीडीपी में योगदान बढ़ाने का आह्वान किया। वहीं विधायक रमेशभाई टिलाला ने कहा कि सौराष्ट्र के उद्योगपतियों को अभी जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र की जानकारी नहीं है, जबकि इसमें अपार संभावनाएँ हैं। उन्होंने उद्योगपतियों को इस नीति का लाभ उठाने और देश के विकास में भागीदार बनने का आग्रह किया।
जीएसबीटीएम के मिशन निदेशक दिग्विजयसिंह जडेजा ने विस्तृत प्रस्तुति देते हुए बताया कि भारत की जैव अर्थव्यवस्था 13.76 लाख करोड़ रुपये की है और इसका योगदान देश की जीडीपी में 4.25 प्रतिशत है। उन्होंने उद्योगपतियों को सरकारी सहायता योजनाओं के उदाहरण भी दिए, जिसमें 100 करोड़ रुपये के निवेश पर 85 करोड़ रुपये तक की सहायता अनुदान, ब्याज और परिचालन सब्सिडी के रूप में प्रदान की जाती है।
इस अवसर पर इंडियन सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्स एंड बायोलॉजिस्ट्स के अध्यक्ष प्रोफेसर अनामिक शाह ने सौराष्ट्र में एमएसएमई के विकास हेतु एक रोडमैप प्रस्तुत किया। राजकोट ग्रेटर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष राजीव दोशी ने उद्योग जगत के दृष्टिकोण रखे, जबकि क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र के निदेशक डॉ. सुमित व्यास ने जैव प्रौद्योगिकी के महत्व पर जानकारी दी। कार्यक्रम का स्वागत भाषण जीएसबीटीएम की संयुक्त निदेशक डॉ. स्नेहल बगथरिया ने दिया।