सूरत : 'नागरिक सुरक्षा' पर चैंबर का जागरूकता सत्र: युद्ध के बदलते दौर में उद्योगों के लिए ज़रूरी
मुख्य वक्ता कांजीभाई भलाला ने कहा: नागरिक जितने जागरूक होंगे, देश उतना ही मज़बूत होगा
सूरत। दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने समृद्धि, नानपुरा, सूरत में 'नागरिक सुरक्षा – एक आवश्यकता' विषय पर जागरूकता सत्र का आयोजन किया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता रहे सूरत सिविल डिफेंस के पूर्व चीफ वार्डन और सौराष्ट्र पटेल सेवा समाज के अध्यक्ष कांजीभाई भलाला।
अपने स्वागत भाषण में चैंबर के समूह अध्यक्ष परेश लाठिया ने नागरिक सुरक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसकी शुरुआत 1941 में द्वितीय विश्व युद्ध के समय हुई थी। 1962 और 1965 के युद्धों में इसकी उपयोगिता साबित हुई और 1968 में संसद ने इसे कानूनी मान्यता दी। सूरत में नागरिक सुरक्षा की स्थापना 1997 में हुई थी, जबकि 2009 में इसका दायरा प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं तक बढ़ा दिया गया।
मुख्य वक्ता कांजीभाई भलाला ने कहा कि आज युद्ध की तकनीक बदल चुकी है। तीर, तोप और मिसाइल के बाद अब ड्रोन का जमाना है। ऐसे में उद्योगों और नागरिकों दोनों के लिए नागरिक सुरक्षा को समझना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि नागरिक जितने जागरूक होंगे, देश आपदा या युद्ध जैसी परिस्थितियों में उतना ही मजबूत खड़ा रहेगा।
भलाला ने 2001 के भूकंप का उदाहरण देते हुए बताया कि गलत सूचना के कारण कई लोग मारे गए थे, जबकि नागरिक सुरक्षा का उद्देश्य जागरूकता और सही मार्गदर्शन से जान-माल की रक्षा करना है। उन्होंने बताया कि काकरापार परमाणु ऊर्जा संयंत्र, उकाई बांध और हजीरा क्षेत्र के कारण सूरत देश के 40 चिन्हित संवेदनशील स्थानों में शामिल है।
कार्यक्रम में चैंबर की एनजीओ समिति के अध्यक्ष मोहम्मद नावेद शेख ने सभी से नागरिक सुरक्षा का प्रशिक्षण लेने की अपील की और कहा कि जल्द ही प्रत्येक कॉलेज में नागरिक सुरक्षा इकाई स्थापित की जाएगी।
चैंबर सदस्य घनश्याम नसीत ने प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया और कार्यक्रम का समापन हुआ।