राजकोट सिविल अस्पताल की जीवनदायिनी टीम ने दी नई ज़िंदगी

राजकोट सिविल अस्पताल की जीवनदायिनी टीम ने दी नई ज़िंदगी

गंभीर हालत में आई बोटाद की गर्भवती महिला को 17 दिन की जटिल चिकित्सा से स्वस्थ किया, ‘जननी शिशु सुरक्षा योजना’ से मिला मुफ्त इलाज

राजकोट सिविल अस्पताल ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि समर्पित टीमवर्क और सरकारी योजनाएं मिलकर किसी की ज़िंदगी बचा सकती हैं। बोटाद की 27 वर्षीय गीता जयदेवभाई को 14 जुलाई, 2025 की रात गंभीर हालत में राजकोट सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। प्रसव के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव होने से उनकी हालत नाज़ुक हो गई थी। उनकी धड़कन मंद पड़ गई, सांस लेने में तकलीफ होने लगी और लिवर, किडनी तथा फेफड़ों की कार्यक्षमता प्रभावित हो गई।

हालात इतने खराब थे कि निजी अस्पतालों में इलाज पर लगभग 8 से 10 लाख रुपये खर्च होते, लेकिन ‘जननी शिशु सुरक्षा योजना’ के तहत राजकोट सिविल अस्पताल में यह संपूर्ण इलाज पूरी तरह निशुल्क किया गया।

स्त्री रोग, मेडिसिन और एनेस्थीसिया विभाग की 15 डॉक्टरों की टीम ने 17 दिन तक अथक मेहनत करके महिला को मृत्यु के मुंह से वापस लाने में सफलता पाई।

डॉ. हेमाली नेनुजी ने बताया कि महिला की स्थिति अत्यधिक गंभीर थी, लेकिन टीमवर्क की बदौलत माँ और नवजात दोनों को सुरक्षित किया जा सका। डॉ. दीपा गोंडालिया ने बताया कि मरीज की नब्ज और बीपी नहीं मिल रहे थे, उन्हें तुरंत वेंटिलेटर पर रखा गया और हृदय की सेंट्रल लाइन से दवाएं दी गईं।

डॉ. धवल अजमेरा के अनुसार, मरीज के फेफड़े, किडनी और लिवर में संक्रमण था। विशेष प्रकार की स्लेट डायलिसिस की 9 बार प्रक्रिया की गई और निमोनिया से बचाव भी किया गया।

सभी प्रयासों के बाद माँ और नवजात शिशु स्वस्थ होकर अपने गृहनगर बोटाद लौट चुके हैं। इस उपलब्धि ने सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में आम जनता का विश्वास और बढ़ा दिया है। राजकोट सिविल अस्पताल का यह कार्य न केवल चिकित्सकीय कौशल का उदाहरण है, बल्कि यह भी दिखाता है कि जननी शिशु सुरक्षा योजना जैसी योजनाएं वास्तव में ज़रूरतमंदों के लिए वरदान बन रही हैं।

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