सूरत में गारमेंट उद्योग का सुनहरा भविष्य: चैंबर के सेमिनार में विशेषज्ञों ने दिखाई राह
टेक्सटाइल वीक के चौथे दिन 'सूरत में गारमेंट्स का भविष्य' पर गहन चर्चा; उद्यमियों को मिला मूल्य संवर्धन और निर्यात पर जोर देने का मार्गदर्शन
सूरत। कपड़ा नगरी सूरत को रेडीमेड गारमेंट्स का हब बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के ग्लोबल फैब्रिक रिसोर्स एंड रिसर्च सेंटर (जीएफआरआरसी) ने टेक्सटाइल वीक के चौथे दिन, गुरुवार, 24 जुलाई को 'सूरत में गारमेंट्स का भविष्य' विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया। इस सेमिनार का उद्देश्य सूरत के कपड़ा उद्योगपतियों को गारमेंट निर्माण के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करना था।
इस अवसर पर, गिन्नी ग्रुप के निदेशक रमेश लोहिया ने बतौर अतिथि अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और उद्यमियों का मार्गदर्शन किया। वहीं, वज़ीर एडवाइज़र्स के सह-संस्थापक एवं संयुक्त प्रबंध निदेशक प्रशांत अग्रवाल और संचालन निदेशक सुरेंद्र जैन ने उद्यमियों को सूरत में गारमेंट उद्योग के भविष्य की विस्तृत तस्वीर पेश की।
चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष निखिल मद्रासी ने इस दौरान कहा कि बदलती बाज़ार मांग, नए युवा वर्ग की क्रय शक्ति और वैश्विक स्तर पर डिजिटल प्लेटफॉर्म के बढ़ते उपयोग को देखते हुए, गारमेंट उद्योग में असीमित संभावनाएं हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सूरत में गारमेंट निर्माण की दिशा में आगे बढ़ने की क्षमता है, और इसलिए उन्होंने उद्योगपतियों को स्थानीय स्तर पर मूल्य संवर्धन, ब्रांडिंग और नवाचार में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सूरत अब केवल एक टेक्सटाइल सिटी ही नहीं, बल्कि रेडीमेड गारमेंट्स के हब के रूप में भी उभर सकता है।
गिन्नी ग्रुप के निदेशक रमेश लोहिया ने अपनी बात रखते हुए कहा कि सूरत में गारमेंट उद्योग की अपार संभावनाएँ मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि सूरत में बच्चों के कपड़ों पर तो काफी काम हो रहा है, लेकिन यदि रेडीमेड गारमेंट्स का निर्माण बड़े पैमाने पर शुरू हो जाए, तो सूरत के टेक्सटाइल उद्योग को एक नया बढ़ावा मिलेगा।
उनके अनुसार, इससे सूरत के धागे और कपड़े अपने आप बिकने लगेंगे और धागे से लेकर कपड़े के व्यापार तक की पूरी मूल्य श्रृंखला सूरत में ही विकसित हो जाएगी। उन्होंने युवा उद्यमियों को गारमेंटिंग में निवेश करने की सलाह देते हुए कहा कि यही एकमात्र उद्योग है जो 100 रुपये के उत्पाद पर 1000 रुपये तक का मूल्यवर्धन कर सकता है।
वज़ीर एडवाइज़र्स के प्रशांत अग्रवाल ने वैश्विक रुझानों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वर्तमान में दुनिया की 73 प्रतिशत कपड़े की खपत मानव निर्मित फाइबर (MMF) की है, जिसके अगले चार वर्षों में 80 प्रतिशत तक पहुँचने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि भारत में वर्तमान में कपास आधारित वस्त्र उद्योग का प्रभुत्व है, लेकिन भविष्य पॉलिएस्टर का है। चूंकि सूरत पॉलिएस्टर में अग्रणी है, इसलिए उन्होंने उद्योगपतियों को सूरत की इस शक्ति को पहचानकर परिधान निर्माण और निर्यात में आगे बढ़ने का सुझाव दिया।
वज़ीर एडवाइज़र्स के सुरेंद्र जैन ने उद्योगपतियों को योजनाबद्ध तरीके से कपड़े तैयार करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि अच्छी गुणवत्ता से कारखाने की लागत कम होगी। इसके लिए उन्होंने मध्य प्रबंधन के महत्व पर जोर दिया और उद्यमियों को नियोजन, संचालन पुनर्रचना, प्रणालियों और प्रक्रियाओं, कौशल विकास, स्वचालन और डिजिटलीकरण तथा विनिर्माण उत्कृष्टता के लिए सही दृष्टिकोण के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए चैंबर के समूह अध्यक्ष गिरधर गोपाल मुंदड़ा ने कहा कि कपड़ा भले ही सूरत में बनता है, लेकिन रेडीमेड गारमेंट दिल्ली, बेंगलुरु और मुंबई में तैयार होते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि कटिंग, फिनिशिंग और पैकिंग की पूरी श्रृंखला सूरत में ही विकसित कर दी जाए, तो कपड़े के बजाय रेडीमेड गारमेंट का सीधे निर्यात किया जा सकता है, जिससे उद्यमियों को तीन गुना लाभ होगा। उन्होंने उद्यमियों को ई-कॉमर्स प्रशिक्षण लेने, 'ब्रांड सूरत' बनाने और डिजिटल मार्केटिंग सीखने की सलाह दी। उन्होंने यह भी कहा कि सूरत में कॉमन फैसिलिटी सेंटर और एमएसएमई क्लस्टर की आवश्यकता पर विस्तृत जानकारी देकर परिधान निर्यात को लक्षित किया जाना चाहिए।
सेमिनार में एक पैनल चर्चा का भी आयोजन किया गया, जिसमें उद्योग विशेषज्ञ सुश्री सीमा बख्शी, सुश्री सोनिया खन्ना, रमन दत्ता और मनीष चौहान ने पैनलिस्ट के रूप में भाग लिया। उन्होंने परिधान उद्योग के लिए प्रौद्योगिकी, मशीनरी, डिजाइनिंग और निर्यात से संबंधित मुद्दों पर अपने बहुमूल्य विचार व्यक्त किए। इस पैनल चर्चा का संचालन वज़ीर एडवाइज़र्स के प्रशांत अग्रवाल ने किया।
इस महत्वपूर्ण सेमिनार में चैंबर ऑफ कॉमर्स के मानद कोषाध्यक्ष सीए मितेश मोदी, चैंबर के पूर्व अध्यक्ष भरत गांधी, प्रफुल शाह और महेंद्र काजीवाला सहित अनेक उद्यमी उपस्थित रहे। चैंबर की फैशन डिज़ाइनिंग समिति की अध्यक्ष डॉ. बंदना भट्टाचार्य ने सेमिनार का कुशल संचालन किया। अतिथियों, वक्ताओं और पैनलिस्टों ने परिधान उद्योग से जुड़े उद्यमियों की विभिन्न शंकाओं का समाधान किया, जिसके बाद सेमिनार का सफल समापन हुआ।