राजकोट : पाक विस्थापितों को मिला “भारतीय” होने का गौरव
राजकोट में CAA के तहत 185 लोगों को दी गई नागरिकता, वर्षों का इंतजार खत्म
"खुश रहो, मुस्कुराते रहो, अब से तुम महान भारत के नागरिक हो..." – ये शब्द उन 185 लोगों के लिए भावनाओं से भरे थे, जो वर्षों से पाकिस्तान से विस्थापित होकर गुजरात के कच्छ, मोरबी और राजकोट ज़िलों में बसे थे और भारतीय नागरिकता की प्रतीक्षा कर रहे थे। आज उनका यह लंबा इंतजार समाप्त हुआ, जब उन्हें भारतीय नागरिकता का प्रमाणपत्र सौंपा गया।
राजकोट ज़िला प्रशासन द्वारा आत्मीय विश्वविद्यालय में आयोजित एक गरिमामय समारोह में गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी की उपस्थिति में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) – 2019 के अंतर्गत इन 185 लोगों को आधिकारिक रूप से भारतीय नागरिकता प्रदान की गई।
इस मौके पर भावुक दृश्य भी देखने को मिले कई नागरिकों की आंखें नम थीं, कुछ भारत माता की जय के उद्घोष कर रहे थे, तो कुछ तिरंगा हाथ में थामे देशभक्ति के गीत गुनगुना रहे थे।
गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने अपने संबोधन में कहा, “यह केवल नागरिकता प्रमाणपत्र नहीं है, बल्कि इन लोगों के लिए सम्मान, सुरक्षा और भारत में एक नई पहचान की शुरुआत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में अब इन नागरिकों को उनके अधिकार मिल रहे हैं।”
कार्यक्रम में राजकोट के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस विभाग, और अन्य सरकारी विभागों के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। इसके साथ ही कई सामाजिक संगठनों ने इस पहल का स्वागत करते हुए नागरिकों को शुभकामनाएं दीं।
गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के अंतर्गत उन धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे।
आज का दिन इन 185 परिवारों के लिए सिर्फ एक कानूनी औपचारिकता नहीं, बल्कि एक नए जीवन की शुरुआत है – एक ऐसे जीवन की, जो भारतीय संविधान की गरिमा और अधिकारों से परिपूर्ण होगा।