सूरत : टेक्सटाइल वीक के दूसरे दिन एमएमएफ निर्यात के भविष्य पर संगोष्ठी आयोजित
पॉलिएस्टर और मानव निर्मित रेशों में भारी संभावनाएँ, उद्यमियों को स्थायित्व और प्रबंधन पर देना होगा जोर
सूरत। दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसजीसीसीआई) के ग्लोबल फैब्रिक रिसोर्स एंड रिसर्च सेंटर ( जीएफआरआरसी) द्वारा आयोजित टेक्सटाइल वीक के दूसरे दिन, 22 जुलाई 2025 को, "मानव निर्मित रेशों (एमएमएफ) के निर्यात का भविष्य" विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। यह आयोजन सूरत के नानपुरा स्थित समृद्धि भवन में किया गया, जिसमें उद्योग विशेषज्ञों और उद्यमियों ने भाग लिया।
सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में बिंदल एक्सपोर्ट्स लिमिटेड के अध्यक्ष रवींद्र आर्य और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के उपाध्यक्ष असीम पान उपस्थित थे। दोनों वक्ताओं ने निर्यात क्षेत्र में संभावनाओं, उद्योग की वर्तमान चुनौतियों और भविष्य की रणनीतियों पर विस्तृत विचार साझा किए।
बिंदल एक्सपोर्ट्स के अध्यक्ष रवींद्र आर्य ने कहा कि निर्यात में सफलता के लिए स्थायित्व को अपनाना आवश्यक है। उन्होंने सुझाव दिया कि 2-3 करोड़ रुपये निवेश करने वाले उद्यमियों को एक योग्य सीईओ या प्रबंधन सलाहकार नियुक्त करना चाहिए। “यदि उद्यमी खुद सभी जिम्मेदारियाँ उठाएँगे, तो वे व्यवसाय में आगे नहीं बढ़ पाएँगे,” उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि व्यवसाय में ग्राहकों की ज़रूरत को प्राथमिकता देना चाहिए। जब यह दृष्टिकोण अपनाया जाएगा, तो लाभ स्वतः मिलेगा। उन्होंने व्यवसाय को सिस्टम आधारित, डेटा आधारित और संस्कृति आधारित बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के उपाध्यक्ष असीम पान ने एमएमएफ क्षेत्र के वैश्विक परिदृश्य पर प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि 2019 में वैश्विक फाइबर उत्पादन 104 मिलियन टन था, जो 2030 तक बढ़कर 135 मिलियन टन तक पहुँचने की संभावना है। इसमें मानव निर्मित फाइबर की हिस्सेदारी सबसे अधिक रहेगी, विशेष रूप से पॉलिएस्टर में 40 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि अनुमानित है।
उन्होंने बताया कि कपास का उत्पादन वर्षों से स्थिर है, जबकि पॉलिएस्टर जैसे फाइबर सस्ते, टिकाऊ और उच्च उत्पादन क्षमता वाले हैं, जिससे उनका उपयोग तेजी से बढ़ा है। भारत, विशेष रूप से सूरत, फिलामेंट पॉलिएस्टर उत्पादन का प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है।
एसजीसीसीआई के उपाध्यक्ष अशोक जीरावाला ने कहा कि सूरत के उद्यमियों के लिए अब वैश्विक बाजार में प्रवेश के अद्वितीय अवसर उपलब्ध हैं। पारंपरिक उद्योग से आगे बढ़ते हुए, नई तकनीक, गुणवत्ता और नवाचार के बल पर सूरत वैश्विक गारमेंटिंग हब के रूप में उभर रहा है।
सेमिनार की रूपरेखा चैंबर के समूह अध्यक्ष गिरधर गोपाल मुंदड़ा ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन जीएफआरआरसी के सह-अध्यक्ष उमेश कृष्णानी ने किया। चैंबर के तत्कालीन पूर्व अध्यक्ष विजय मेवावाला, महेंद्र काजीवाला सहित अनेक उद्यमी और विशेषज्ञ कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
अंत में वक्ताओं ने उद्यमियों के प्रश्नों के उत्तर दिए और विचार साझा किए। इस संगोष्ठी ने सूरत के टेक्सटाइल उद्योग को वैश्विक दिशा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में अपनी भूमिका निभाई।