सूरत में खाड़ी बाढ़ नियंत्रण कार्य तेज़, दबाव हटाने का अभियान दूसरे दिन भी जारी
नगर आयुक्त शालिनी अग्रवाल की अगुवाई में उच्चाधिकार समिति सक्रिय, वर्षों से लंबित कार्यों में आई रफ्तार
सूरत । शहर में खाड़ी की बाढ़ से राहत दिलाने के उद्देश्य से एक उच्चस्तरीय समिति के गठन के बाद बाढ़ नियंत्रण कार्यों में तेज़ी आई है। नगर आयुक्त शालिनी अग्रवाल को समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद नगर निगम प्रशासन हरकत में आ गया है और खाड़ी के किनारे जमी गाद, जर्जर पुलियाओं और दबाव को हटाने का कार्य लगातार दूसरे दिन भी जारी रहा।
रविवार को शुरू हुए इस कार्य को सोमवार को भी जारी रखा गया। नगर निगम ने पूर्व (सरथाणा) जोन के नई टी.पी. स्कीम क्रमांक 21 (सरथाणा-सिमाडा) में शिव प्लाजा रेजीडेंसी के पास 60 मीटर चौड़ी आइकॉनिक रोड पर स्थित एक पुरानी पाइप पुलिया को तोड़ने का काम शुरू कर दिया है। यह पुलिया अब खस्ताहाल हो चुकी थी और सुरक्षा कारणों से पहले ही वाहनों की आवाजाही के लिए बंद कर दी गई थी।
इसी प्रकार, बमरोली क्षेत्र में भी खाड़ी के प्रवाह में बाधा बन रही एक पुरानी पाइप पुलिया को हटाने का कार्य जारी है। साथ ही, टीपी स्कीम नंबर 43 के तहत भीमराड क्षेत्र के अंतिम प्लॉट नंबर 81, जहां सूरत नगर निगम का नया आवासीय प्रकल्प बना है, वहां खाड़ी के संरेखण में मौजूद दबाव को हटाने का कार्य किया जा रहा है। पुरानी पुलिया को हटाकर खाड़ी को चौड़ा किया जा रहा है ताकि जल प्रवाह सुचारू हो सके।
गौरतलब है कि सूरत जिले से होकर बहने वाली खाड़ी में भारी वर्षा के समय बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। वर्षों से सरकार और नगर निगम के बीच समन्वय की कमी के चलते खाड़ी के दबाव हटाने के कार्य अधर में लटके थे। लेकिन इस साल आई बाढ़ के बाद नागरिकों के आक्रोश और आगामी नगर निगम चुनावों की आहट ने प्रशासन को सक्रिय कर दिया है।
नगर निगम के अनुसार, खाड़ी का स्वामित्व राज्य सरकार के पास है, जबकि नगरपालिका क्षेत्र के भीतर की संरचनाओं की जिम्मेदारी स्थानीय निकाय की है। दोनों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित कर अब बाढ़ नियंत्रण की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
नगर आयुक्त शालिनी अग्रवाल की अध्यक्षता में बनी समिति के सक्रिय होते ही वर्षों से लंबित कार्यों को गति मिली है, जिससे शहरवासियों को भविष्य में बाढ़ की समस्या से राहत मिलने की उम्मीद बंधी है।